अस्सी और नब्बे के दशक से पहले किसी क्रिकेट टीम में विकेट कीपर बल्लेबाज से यह उम्मीद नहीं की जाती थी कि वह बतौर बल्लेबाज भी टीम में अपना योगदान दे। विकेट कीपर का यही काम था कि वह सिर्फ विकेटकीपिंग पर ध्यान दे और मुश्किल मौकों को भी भुनाए।
जैसे जैसे खेल बदलाता गया उसकी जरूरते भी बदलती गई। जब वनडे क्रिकेट टेस्ट क्रिकेट से अधिक चर्चित हो गया तो टीम में ऑलराउंडर का महत्व समझ में आने लगा। एक विशेषज्ञ बल्लेबाज और गेंदबाज के बजाय टीम में आलराउंडर खिलाड़ी को तरजीह दी जाने लगी। इसी दौर में विकेटकीपर से भी उम्मीद की गई कि वह विकेट के पीछे अपना योगदान देने के साथ ही उपयोगी रन भी बनाए।
जेफ ड्यूजोन, सलीम इलाही, जूनियर मरे, रोडनी मार्श, वसीम बारी, एलेन नॉर्थ, सैयद किरमानी, बॉब टेलर, एलेक स्टुअर्ट, एडम गिलक्रिस्टल, डेव रिचर्डसन, जैसे विकेटकीपर को आज भी याद किया जाता है।
जैसे जैसे खेल का स्वरूप आगे बढ़ता गया वैसे वैसे विकेट कीपरों ने बल्ले से भी योगदान देना शुरू कर दिया। आज श्रीलंका के कुमार संगकारा, ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट, भारत के महेंद्र सिंह धोनी सिर्फ विकेट कीपर ही नहीं हैं, बल्कि वे विश्वस्तरीय बल्लेबाज भी हैं। जानते हैं भारत के बेस्ट विकेट कीपर के बारे में।