भारत दौरे पर अपने खोए हुए फॉर्म को पाने के लिए संघर्षरत टेस्ट में दुनिया के सबसे सफल गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने 2011 के एकदिवसीय विश्व कप से पूर्व क्रिकेट से संन्यास लेने के संकेत दिए हैं।
मुरलीधरन ने कहा कि मैं विश्वकप से पूर्व संन्यास ले सकता हूँ और मेरे हिसाब से यह सही निर्णय होगा। उन्होंने कहा कि अब वह उतनी गेंदंबाजी नहीं कर सकते जितना कि पहले किया करता था। मैं 15-16 ओवर गेंदबाजी करने के बाद अब थक जाता हूँ, इसलिए इस स्थिति में संन्यास लेना ही बेहतर होगा।
उन्होंने कहा कि यदि वनडे क्रिकेट में अपेक्षित सफलताएँ मिलती हैं तो वह वनडे क्रिकेट में खेलना जारी रखते हैं लेकिन सफलता न मिलने पर वह टेस्ट और वनडे दोनों से संन्यास ले लेंगे।
मुरली के अनुसार संन्यास लेना बहुत कुछ शरीर की हालत पर भी निर्भर करेगा। मुरलीधरन टीम के वर्तमान टेस्ट सिरीज में पिछड़ने के बावजूद चिंतित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी टीम मुंबई टेस्ट में बढ़िया प्रदर्शन कर सिरीज में बराबरी हासिल कर लेगी।
उन्होंने कहा कि कानपुर टेस्ट में टीम की हार का सबसे बड़ा कारण टॉस हारना रहा। उन्होंने कहा कि टीम के पास इस समय अजंता मेंडिस और रंगना हेरात जैसे स्पिनर हैं और लगातार बढिया प्रदर्शन कर रहें हैं, इसलिए उनके संन्यास लेने के बाद भी टीम को उनकी कमी महसूस नहीं होगी। (वार्ता)