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मैग्राथ को रुखसती का गम नहीं

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सिडनी (वार्ता) , रविवार, 3 जून 2007 (01:59 IST)
ऑस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज ग्लेन मैग्राथ ने कहा है कि उन्हें क्रिकेट को अलविदा कहने का जरा भी दुख नहीं है।

विश्व कप में 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का खिताब पाने वाले मैग्राथ ने विश्व कप फाइनल में 14 वर्षों के लंबे क्रिकेट कॅरियर के बाद शीर्ष पर रहते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उन्होंने विश्व कप टूर्नामेंट में 13.7 के औसत से 26 विकेट लिए।

मैग्राथ ने अदभुत प्रदर्शन कर शीर्ष पर रहते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। विश्व कप में उनके प्रदर्शन को देखते हुए क्रिकेट विशेषज्ञ उन्हें कुछ और दिन क्रिकेट खेलने की सलाह देते नजर आए, लेकिन 37 वर्षीय मैग्राथ ने कहा कि वह क्रिकेट को अलविदा कहकर खुश हैं।

मैग्राथ ने गुरुवार को टीम के स्वदेश पहुँचने पर कहा कि मेरे पास पिछले 14 वर्षों के कॅरियर के बारे में कहने का वक्त नहीं है, लेकिन मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मैं ऐसी ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा बना जो काफी मजबूत है।

उन्होंने कहा कि जब आप अपने साथी खिलाड़ियों की देखकर सोचते हो तो आपको अहसास होता है कि ये सभी बड़े खिलाड़ी हैं। इन खिलाड़ियों के साथ होना काफी रोमांचित करता है और विश्व कप जीतना तो किसी के लिए भी हमेशा खास होता है, लेकिन मेरे लिए तो यह आखिरी विश्व कप था और मैं इसका मजा लेने तथा हर पल का लुत्फ उठाने को प्रतिबद्ध था और मैनें ऐसा ही किया।

मैग्राथ ने इंग्लैंड के खिलाफ एशेज श्रृंखला जीतने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहने की योजना के बारे में घोषणा की थी, लेकिन विश्व कप जीतना और 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' होने की उनकी उपलब्धि पाकिस्तानी कोच बॉब वूल्मर की हत्या के कारण कुछ धीमी पड़ गई।

दुनिया भर के क्रिकेट खिलाड़ियों ने मैग्राथ को एक महान खिल़ड़ी बताया। मैग्राथ कोई बहुत तेज गेंदबाज नहीं रहे, लेकिन उनकी सफलता का राज गेंदों की सटीकता, सीम से मूव कराने की क्षमता और अपनी लंबाई से अतिरिक्त उछाल हासिल कर बल्लेबाजों को छकाना था।

आज जबकि अधिकतर तेज गेंदबाज अपनी गति से बल्लेबाजों को डराने की कोशिश करते हैं मैग्राथ अपनी चतुराई और गेंद को ऑफ स्टंप के बाहर रखकर बल्लेबाजों को छकाते थे। अपने आसान लेकिन तीक्ष्ण एक्शन से वह हमेशा शीर्ष बल्लेबाजों को चकमा देते रहे।

मैग्राथ वेस्टर्न न्यू साउथ वेल्स के एक छोटे से कस्बे नैरोमाइन में पले पढ़े थे और वहाँ किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि वह बाद में इतने बड़े खिलाड़ी बन सकेंगे।

जब उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई समाप्त की तो उन्होंने अपने कुछ वर्ष अनेक तरह की नौकरियाँ करते हुए गुजारी। उन्होंने एक बैंक और कपास की खेती करने वाले कंपनी में बढ़ई का काम किया। इसके बाद वह सिडनी चले आए और 13 महीने तक एक सराय में समय गुजारने के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली।

मैग्राथ ने इस खेल में अनेक रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 563 विकेट हासिल किए जो कि तेज गेंदबाजों के लिए एक रिकॉर्ड है, जबकि वन-डे में 381 विकेट उनके खाते में जमा हैं।

मैग्राथ, रिकी पोंटिंग और एडम गिलक्रिस्ट के साथ केवल तीसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जो लगातार तीन विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहें हों

मैग्राथ अपने कॅरियर के पिछले कुछ वर्षों में चोटों से परेशान रहे और कैंसर पीड़ित अपनी पत्नी की देखभाल के लिए आठ महीने क्रिकेट से दूर रहे, लेकिन जब वह टीम में लौटे तो ऑस्ट्रेलियाई टीम ने एशेज समेत विश्व कप पर कब्जा जमाया।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जान हॉवर्ड ने कहा कि मैग्राथ अद्भुत है और कई वर्षों तक ऑस्ट्रेलियाई टीम के बेशकीमती रत्न रहे। उन्होंने कहा कि मैग्राथ अपनी पीढ़ी के महान तेज गेंदबाज हैं और अनेक लोग तो उन्हें इस खेल के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज के रूप में मानते हैं। उन्होंने कहा कि आप उनकी तुलना डेनिस लिली और रे लिंडवाल से कर सकते हैं। मैकग्रा अदभुत हैं।

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