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सौरव गांगुली ने किया संन्यास का ऐलान

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बेंगलुरू (भाषा) , बुधवार, 8 अक्टूबर 2008 (00:08 IST)
सौरव गांगुली ने क्रिकेट जगत को हैरानी में डालते हुए मंगलवार की शाम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गुरुवार से शुरू होने वाली चार मैचों की श्रृंखला के बाद टेस्ट मैचों से संन्यास लेने की घोषणा की, जिससे एक युग का भी अंत हो जाएगा, जिसने भारतीय टीम में आक्रामकता भरी।

गांगुली ने मैच से पूर्व के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जाने से पहले मैं एक घोषणा करना चाहता हूँ। यह मेरी अंतिम श्रृंखला होगी। मैंने संन्यास लेने का फैसला कर लिया है। ये चार टेस्ट मैच मेरे अंतिम मैच होंगे। बाएँ हाथ के बल्लेबाज ने इसके साथ इन अटकलों पर भी विराम लगा दिया कि उन्हें इसी समझ के साथ चुना गया कि वह श्रृंखला के बाद संन्यास ले लेंगे।

कोलकाता के 36 वर्षीय बल्लेबाज ने कहा कि मैंने अपने साथियों से बात की ये चार टेस्ट मैच मेरे अंतिम मैच होंगे। मेरा समर्थन करने के लिए शुक्रिया। आशा है कि मैं जीत के साथ अंत करूँगा। भारत के सबसे सफल कप्तान की इस घोषणा के साथ उनके 16 साल के शानदार करियर का अंत हो गया, जिसमें पहले चार साल उनको कोई नहीं जानता था जबकि अंतिम तीन साल विवादों और बोर्ड के साथ तनातनी में गुजरे।

चयन समिति के अध्यक्ष पूर्व कप्तानों और खिलाड़ियों ने उनके फैसले का स्वागत किया। इनमें उनके कटु आलोचक किरण मोरे भी शामिल है, जिन्होंने कहा कि यह फैसला करने का सही समय था। अब तक 109 टेस्ट मैच खेलने वाले गांगुली ने 2005 में तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ जिम्बॉब्वे दौरे के दौरान झड़प के बाद कप्तानी गँवा दी थी और उन्हें टीम से भी बाहर होना पड़ा था। उन्हें तब टीम का कप्तान बनाया गया था, जब सचिन तेंडुलकर ने अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए कप्तानी छोड़ दी थी।

भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वालों में पाँचवें स्थान पर काबिज गांगुली ने वन डे में दस हजार से अधिक रन बनाए हैं। वह वन डे में सचिन तेंडुलकर के बाद भारत की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज हैं। गांगुली ने 49 टेस्ट मैचों में भारत की अगुआई करते हुए टीम को 21 मैचों में जीत दिलाई। 2005 में चैपल से विवाद के बाद कप्तानी से हटा दिया गया।

इस बल्लेबाज की इबीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के साथ तकरार हुई, जिसके बाद शरद पवार के साथ उनकी नजदीकियाँ बढ़ गई। हालाँकि कोलकाता के इस बल्लेबाज ने बाद में फिर डालमिया का हाथ थाम लिया। पिछले महीने पाँच दिवसीय ईरान ट्रॉफी मैच के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के लिए गांगुली को टीम में चुनना हैरान भरा कदम था। पिछले साल उन्हें इंग्लैंड दौरे के दौरान एकदिवसीय टीम से बाहर कर दिया गया और इसके बाद वह टीम में गंभीर वापसी करने में असफल रहे।

गांगुली ने 1992 में एकदिवसीय टीम में चुने जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और इसके बाद उन्हें 1996 में टेस्ट टीम में चुना गया। उन्होंने 311 एकदिवीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उनकी ही कप्तानी में भारत 2003 में दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप के फाइनल में पहुँचने में सफल रहा।

टेस्ट मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 239 और वनडे में 183 रन है। ट्वेंटी-20 के सभी तरह के मैचों में उन्होंने 25.92 की औसत से 726 रन बनाए हैं, जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 91 रन है।

चयन समिति के नए अध्यक्ष कृष्णमाचारी श्रीकांत ने कहा कि उन्होंने घोषणा से पहले गांगुली से बात की थी। उन्होंने कहा कि गांगुली ने मुझसे और अन्य चयनकर्ताओं से बात की। उन्हें शायद लगता है कि यह संन्यास लेने के लिए सही समय है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह इस श्रृंखला में ढेर सारे रन बनाएँ और भारत जीत दर्ज करे।

पूर्व कप्तान कपिल देव ने भी गांगुली के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि सीनियर खिलाड़ियों पर संन्यास लेने का दबाव नहीं बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कोई भी बोर्ड अधिकारियों के संन्यास की बात नहीं कर रहा है लेकिन वे केवल सीनियर पर दबाव डाल रहे हैं जो महान खिलाड़ी हैं। किसी अन्य को नहीं बल्कि यह खिलाड़ियों को फैसला करना कि उन्हें कब अलविदा कहना है।

पूर्व कप्तान बिशनसिंह बेदी ने कहा कि यह बुरा मानने का वक्त नहीं है क्योंकि गांगुली शानदार विदाई के हकदार थे। उनका योगदान अतुलनीय है। एक महान क्रिकेटर एक महान शख्सियत ने संन्यास ले लिया। मुझे विश्वास है कि उन्होंने अपनी शर्तों पर यह फैसला किया होगा।

गांगुली के साथ कड़वे रिश्ते रखने वाले पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे ने कहा कि बाएँ हाथ के बल्लेबाज का यह बड़ा फैसला है। उन्होंने कहा कि गांगुली ने देश के लिए शानदार भूमिका निभाई। वह शिखर पर रहते हुए संन्यास लेना चाहता था और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनके पास अच्छा मौका होगा।

गांगुली को इससे पहले ईरानी कप की टीम में नहीं चुना गया था, जिससे लग रहा था कि उनका करियर का अंत हो गया, लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैच की टीम में शामिल किया गया। तभी से कहा जा रहा था कि किसी समझौते के तहत ऐसा किया गया। हालाँकि गांगुली और बोर्ड लगातार इसका खंडन करते रहे हैं।

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