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गांगुली ने वीआरएस की बात खारिज की

हमें फॉलो करें गांगुली ने वीआरएस की बात खारिज की
बेंगलुरू (भाषा) , बुधवार, 8 अक्टूबर 2008 (00:01 IST)
सौरव गांगुली ने कहा कि वह अपनी शर्तों पर संन्यास ले रहे हैं तथा खेलों में स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (वीआरएस) जैसी कोई बात नहीं है।

गांगुली ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह कभी संभव होगा कि कोई आपको खेलों में वीआरएस की पेशकश करे। उन्होंने कहा कि आप कुंबले, द्रविड़, लक्ष्मण, तेंडुलकर या किसी अन्य के साथ ऐसा नहीं कर सकते।

गांगुली ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि बोर्ड (बीसीसीआई) से आपको क्या संदेश मिलता है और जहाँ तक मेरा और कुछ सीनियर खिलाड़ियों का सवाल है तो हमें बोर्ड से इस तरह का कोई संदेश नहीं मिला है।

गांगुली ने कहा कि ईरानी ट्रॉफी के लिए न चुने के बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला के लिए टीम में चुने जाने की आशा नहीं थी, लेकिन चुने जाने के बाद मैंने तैयारियाँ शुरू कर दी। यहाँ तक कि शेष भारत टीम में न चुने जाने पर भी मुझे हैरानी हुई थी, लेकिन मैंने बंगाल के खिलाड़ियों के साथ अभ्यास जारी रखा था।

उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा कि अब एक समय में एक श्रृंखला पर ध्यान दिया जा रहा है। जब भी आप मैदान पर जाते हो आप पर बहुत दबाव होता है और कई निगाहें लगी रहती है, इसलिए यह संन्यास लेने का सही समय था। यह अचानक नहीं लिया गया।

गांगुली ने कहा कि यह बहुत मुश्किल फैसला था और इस पर मैंने काफी सोच विचार किया। गांगुली ने इसके साथ ही इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि वह अभी दो साल और खेलना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानता कि ये बातें कौन कह रहा है। यह हो सकता है कि आठ-नौ महीने पुराना इंटरव्यू हो लेकिन तब परिस्थितियाँ अलग थी जो अब बदल गई हैं।

उन्होंने कहा कि वह अपने इस फैसले से बुरा महसूस नहीं कर रहे हैं। कि आप बुरा इसलिए महसूस करते हैं कि आप अपनी प्यारी चीज को पीछे छोड़कर जाते हैं लेकिन मैं बुरा महसूस नहीं कर रहा हूँ।

गांगुली ने खुलासा किया कि 2005 में टीम से बाहर किए जाने के बाद वह संन्यास लेने पर विचार कर रहे थे। मैंने अपने पिताजी से बात की क्योंकि मुझे टीम से बाहर कर दिया गया था, लेकिन वह इससे सहमत नहीं थे। कोई भी पिता ऐसा नहीं चाहेगा। मैंने अपने दोस्तों से भी बात की और उन्होंने भी कहा कि यह सही फैसला नहीं होगा।

गांगुली ने कहा कि यह फैसला करने के बाद वह राहत महसूस कर रहे हैं। कंधे पर से सारा प्रेशर निकल गया। अब कोई मेरे खेल की मीनमेख नहीं निकालेगा। आशा है मैं अपने जीवन का लुत्फ उठाऊँगा। मुझे सात बजे सुबह दौड़ने के लिए नहीं जाना होगा।

गांगुली से जब पूछा गया कि उनके 16 साल के करियर का सबसे यादगार हिस्सा कौन सा रहा? उन्होंने कहा कि उन्हें तेंडुलकर, द्रविड़, कुंबले और लक्ष्मण के साथ भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने से उन्हें बहुत संतोष मिला। सबसे बड़ी संतुष्टि यह रही कि हम सबने मिलकर भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदला। मैं यह नहीं कहूँगा कि केवल मैंने ही ऐसा किया।

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