आंध्र प्रदेश की राजनीति में फिल्मी सितारों की भूमिका बेहद अहम रही है और राजनीति में उनके आगमन की शुरुआत महान अभिनेता एन टी रामाराव से हुई। हालाँकि रामराव द्वारा 1982 में तेलुगू देशम पार्टी की स्थापना किए जाने से काफी समय पहले ही उनके समकालीन अभिनेता और बचपन के सहपाठी कोंगारा जगैय्या ओंगोल से लोकसभा की सदस्यता हासिल करने में कामयाब रहे थे। लेकिन रामाराव को सही मायने में राजनीति में फिल्मी सितारों की मौजूदगी के मामले में नजीर पेश करने वाला माना जाता है।
रामाराव के राजनीति में कदम रखने के बाद फिल्मी दुनिया से जुड़े अभिनेताओं, निर्माता-निर्देशकों आदि के राजनीति में उतरने का सिलसिला चल पड़ा। तेलुगू फिल्मों के नायक कृष्णा किसी जमाने में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा तक पहुँचने में सफल रहे लेकिन राजनीति उन्हें अधिक समय तक रास नहीं आयी।
उनके बाद एक अन्य नायक कृष्णम राजू पहले कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन बाद में पाला बदलकर भाजपा खेमे में जा पहुँचे और दो बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। कृष्णम राजू तो केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्य मंत्री भी रहे। लेकिन राजनीति में दल बदल की बीमारी उन्हें भी लग गई और वह कुछ ही समय पहले भाजपा से दामन छुड़ाकर तेलुगू फिल्मों के मेगास्टार चिरंजीवी द्वारा गठित प्रजा राज्यम पार्टी में चले गए हैं।
जनता के बीच पैठ की बात करें तो एनटीआर के बाद चिरंजीवी ही एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं जिनके प्रशंसकों की संख्या बेइंतिहा है।
उधर तेलुगू फिल्मों की ही अभिनेत्री तथा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उर्वशी शारदा हाल ही में तेदेपा से नाता तोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई हैं। वह तेदेपा के टिकट पर लोकसभा के लिए चुनी गई थीं।
इसी प्रकार प्रख्यात निदेशक दसारी नारायण राव कांग्रेस के टिकट पर दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए और हाल तक वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री थे। एक अन्य फिल्म निर्देशक के राघवेन्द्र राव तेदेपा के सक्रिय सदस्य हैं लेकिन वह हमेशा परदे के पीछे ही रहना पसंद करते हैं।
इसी कड़ी में अभिनेता तथा निर्माता एम मुरली मोहन भी तेदेपा में परदे के पीछे ही अधिक रहे हैं और उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। मोहन के ही समकालीन एक अन्य अभिनेता निर्माता एम मोहन बाबू भी एनटीआर के समय में राज्यसभा के लिए चुने गए लेकिन बाद में चंद्रबाबू नायडू से अलग हो गए और सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया। अब वह एक प्रकार से खुलकर मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी का समर्थन कर रहे हैं।
चरित्र अभिनेता कैईकाला सत्यानारायण भी तेदेपा की कश्ती में सवार होकर लोकसभा तक पहुँचे लेकिन अब वह पार्टी छोड़ चुके हैं। एक अन्य चरित्र अभिनेता स्वर्गीय रावू गोपाला राव भी एनटीआर के प्रति अपने जुड़ाव के कारण बरसों तक तेदेपा से जुड़े रहे।
एनटीआर के पुत्र और तेलुगू फिल्मों के लोकप्रिय सितारे नंदामूरी बालाकृष्ण अपने पिता के समय में तेदेपा के लिए जमकर प्रचार करते रहे हैं लेकिन अपने संबंधी चंद्रबाबू नायडू के सत्ता के केन्द्र में आ जाने के बाद पिछले एक दशक से वह राजनीति से किनारा किए रहे।
केवल 2008 के अंतिम दिनों में ही बालाकृष्ण ने तेदेपा के मामलों में गंभीर भूमिका निभाना शुरू किया। इसका श्रेय चिरंजीवी द्वारा अपनी पार्टी का गठन किए जाने को दिया जा सकता है। बालाकृष्ण अपने भतीजे तथा आने वाली फिल्म के हीरो एनटीआर (जूनियर) के साथ मिलकर इस चुनाव में तेदेपा के स्टार प्रचारक की भूमिका में हैं।
चिरंजीवी के अलावा उनकी प्रजा राज्यम पार्टी में सितारे ही सितारे भरे पड़े हैं जिनमें उनके अभिनेता बंधु नागेन्द्र बाबू और पवन कल्याण आठ माह पुरानी पार्टी में प्रमुख खिलाड़ी हैं। चिंरजीवी के एक अन्य रिश्तेदार एक प्रख्यात फिल्म निर्माता हैं और पीआरपी के मामलों को चलाने में खास स्थान रखते हैं।
राजेन्द्र प्रसाद तथा सुमन जैसे कई नायक भी तेदेपा के प्रचार में काफी सक्रिय भूमिका में हैं। चरित्र अभिनेता कोटा श्रीनिवास राव और बाबू मोहन भाजपा तथा तेदेपा के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए और चंद्रबाबू कैबिनेट में मंत्री भी रहे। वे अब भी राजनीति में सक्रिय हैं।
चरित्र अभिनेत्री जयसुधा कुछ ही महीनों पहले कांग्रेस में शामिल हुई हैं और अब पहली बार सिकंदराबाद से चुनाव लड़ रही हैं। प्रदेश का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि यहाँ हर चुनाव में कुछ फिल्मी सितारे निदेशक और निर्माता टिकट पाने की उम्मीद में किसी न किसी पार्टी में शामिल होते हैं। अब यह परिणाम ही बताएँगे कि इस बार कितनों की नैय्या पार लगेगी और कितनों की डूबेगी।