-जितेन्द्र कुमार
बिहार में दो चरणों के मतदान के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भाजपा गठबंधन का आत्मविश्वास कम हो गया है। गठबंधन के नेताओं को अब लगने लगा है कि 40 लोकसभा सीटों में से 30 से अधिक पर जीत दर्ज करने के लक्ष्य से पार्टी काफी पीछे छूट जाएगी।
बिहार के दौरे से लौटे जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 26 सीटों पर मतदान के बाद अब लगने लगा है कि गठबंधन को उम्मीद से कम सीटें मिलेंगी। उनका यह भी कहना था कि बिहार में सारी कोशिशों के बावजूद 'विकास बनाम विनाश' का नारा काम नहीं कर पाया।
वे कहते हैं कि अगर विकास की आँधी जैसी कोई बात होती तो कम मतदान नहीं होता। कम मतदान का मतलब यह भी है कि विकास का मुद्दा इस चुनाव में नहीं रहा, वरना बड़ी तादाद में लोग वोट डालते।
जदयू के वरिष्ठ नेता का यह भी कहना था कि पार्टी ने 40 महीने के अपने कार्यकाल को जनता के बीच ले जाने की भरसक कोशिश की, लेकिन हम उसे जनता के बीच में उस रूप में पेश नहीं कर पाए, जैसा चाहते थे। उनका कहना था कि नीतिश कुमार के नेतृत्व में सरकार ने काफी बेहतर काम किया है।
सबसे महत्वपूर्ण कार्य अल्पसंख्यकों और अतिपिछड़ों के लिए विकास के अनेक काम शुरू किए गए हैं, लेकिन आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से मुस्लिम मतदाता उस तरह से साथ नहीं आए हैं, जिस रूप में हमारी सरकार ने उनके लिए काम किया है।
छवि को क्षति :
जदयू के वरिष्ठ नेता यह भी मानते हैं कि शुरुआती दौर में हमें इस बात का अनुमान था कि लालू, पासवान के साथ कांग्रेस का गठबंधन न होने से हमें लाभ होगा, लेकिन कांग्रेस से जितना लालू-पासवान को नुकसान हुआ है उतना हमें भी हुआ है।
वे कहते हैं-दिग्विजयसिंह को टिकट न मिलना और जॉर्ज का चुनाव लड़ना दो ऐसे मुद्दे हैं जिन्होंने इस चुनाव में जदयू की छवि को काफी नुकसान पहुँचाया है।