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सूरत ही नहीं सीरत से भी करें प्यार

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विशाल मिश्र

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लड़की या लड़के को चाहने से पहले केवल उसकी सूरत पर ही न जाएँ थोड़ा उस सीरत यानी स्वभाव आदि से भी परिचित होना जरूरी है। उसके बाद ही इस क्षेत्र में कदम बढ़ाएँ तो बेहतर होगा। कहने का तात्पर्य इश्क-मोहब्बत से परहेज करने वालों के लिए तभैंआगे बीन बजाने जैसा ही होगा।

यहाँ मेरे परम मित्र का उदाहरण जरूर देना चाहूँगा कि जिस लड़की के आगे-पीछे साए की तरह घूमते थे, उसे प्रपोज करने के पहले उन्हें पूरा यकीन था कि जवाब नकारात्मक ही आएगा। 2-3 वर्ष पूरे दिलो-जान से फील्डिंग करने के उपरांत जब वैलेंटाइन डे के दिन उन्होंने मौका पाकर उन्हें प्रपोज किया तो लड़की साफ इंकार कर चलते बनी। जब हमने उनकनकारात्मक विश्वास का कारण जानना चाहा तो उन्होंने कहा यार यह लड़की टोटल पढ़ाई पर ही ध्यान देती है।

प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और फाइनल ईयर में भी वह कॉलेज के पूरे पीरियड अटैंड करती है। जब कभी मुझे मोहतरमा के गैलरी में दीदार हुए तो वे किताबों और फाइलों से ही चिपकी मिलीं। घर के अन्य सदस्य जब घूमते-फिरते थे तो मैं उनकी आवाज सुनने के लिए उन्हें फोन लगा दिया करता था और मैडम ही फोन उठाती थीं।

अब जिस लड़की के लिए किताबों की दुनिया ही सब कुछ हो, बाहरी दुनिया से अनजान हो वह प्यार-मोहब्बत में क्या यकीन करेगी। खैर अब मुझे तसल्ली इस बात की ‍है कि मैंने उससे पूछ तो लिया कि वह मुझसे दोस्ती करेगी या नहीं?

अब मुझे किसी बात का मलाल नहीं और कल से मैं भी अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाऊँगा। जब मैं उससे कहता यार तीन वर्षों में उसकी सहेली या अन्य किसी पर कोशिश करते तो शायद कई हाँ कर देती। इस पर कहते यही तो बात है प्यारे 'किसी को भी मैं इस दिल में बसा लूँ हो नहीं सकता, हो नहीं सकता।

मैं भी उन्हें ढाढस बँधाते हुए कहता कि हाँ यार नुकसान तो उस लड़की का ही हुआ कि तुम उसकी किस्मत में नहीं थे। और दूसरा पक्ष जब तुमने उससे बात किए बगैर उसके बारे में इतनी जानकारियाँ एकत्र कर ली तकिसी न किसी फील्ड में जरूर तुम भी तरक्की कर लोगे। इस बात पर उसकी मायूसी में भी मुस्कराहट छूट ही जातथी।

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