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हौले-हौले हो जाएगा प्यार

लव में हो जाएँ इमोशनल

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प्यार... इश्क... मुहब्बत... लव...। हर कोई इन लफ्जों से परिचित है लेकिन इन लफ्जों के मायने हर एक के लिए अलग-अलग हैं। सबकी अपनी-अपनी राय, अपने-अपने लॉजिक हैं। क्या प्यार पहली नजर में हो सकता है? यह शाश्वत होता है या फिर महज पल-दो पल का? क्या प्यार किसी एक से ही होता है या फिर एक से अधिक लोगों से भी हो सकता है? क्या यह साल-दर-साल चल सकता है... और क्या साथ रहने पर प्यार कम हो जाता है या और बढ़ जाता है...? इन सब सवालों के लिए जानते हैं अलग-अलग एज ग्रुप की केमेस्ट्री :

बीएएमएस की छात्रा संजोगिता पहली नजर में प्यार के बारे में कहती हैं-'यह सही है पर यह प्यार एक विशेष उम्र का तोहफा होता है जिसका एहसास आपको हमेशा अच्छा लगता है। इलेवन्थ-ट्वेल्थ के आसपास की वह उम्र होती है जब आपको कोई जुनून की हद तक अच्छा लगने लगता है। इस उम्र में सही-गलत का ज्यादा ज्ञान तो होता नहीं...।'

संजोगिता हँसते हुए कहती हैं-' प्यार एक एहसास है और दुनिया में कुछ अगर हमेशा रहने वाला है तो यही है। मैं दुनिया में फियर और लव को ही यूनिवर्सल ट्रूथ मानती हूँ। इसमें भी प्यार ही ऐसा है जो हमेशा हमारे साथ रहता है। यह हमारी पर्सनेलिटी से जुड़ा है।'

प्यार एक से होता है या अधिक से, पूछने पर चारू हँसते हुए कहती हैं कि एक समय में तो एक से ही होता है! प्यार तो वैसे हम जिससे भी बात करते हैं, मिलते हैं, सभी से रहता है। हाँ, कोई खास एक ही होता है जिसके लिए हमारे मन में 'एक्सट्रा इमोशन्स' रहते हैं।

क्या प्यार साल-दर-साल चल सकता है, इस प्रश्न पर शुभ्रा का कहना है कि यदि हम दूर-दूर रहें तो यह संभव हो सकता है। तो क्या पास में रहने में प्यार कम हो जाता है, इस पर जरा दार्शनिक होकर कहती हैं-'यह समझ के ऊपर है। प्यार बहुत बड़ी चीज है। जब हमें किसी से ज्यादा प्यार हो जाता है तो वाकई उसमें रब दिखता है। उसे हम देखते नहीं, उसका सजदा करते हैं।

जब वह हमारे सामने खुलता है, उसकी कमजोरियाँ हमारे सामने आती हैं, उन कमजोरियों के साथ भी उसी नजर से उसे देखते रहें यह थोड़ा मुश्किल है। हम उसे बदलने की कोशिश करते हैं। इस पर वह खीजता है। लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते हैं। हम किसी को उसके गुण-दोषों के साथ स्वीकार करें, तभी प्यार साथ में रहने पर बढ़ सकता है।

क्या कहते हैं टीनएजर?
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इस साल ट्वेल्थ की परीक्षा दे रहीं कृतिका यादव को फिलहाल तो डॉक्टरी के एंट्रेंस एक्जाम में सफलता पाने और बोर्ड एक्जाम में अच्छे मार्क्स लाने के अलावा दूर-दूर तक कोई और बात नहीं सूझती। सुबह सात से दोपहर दो तक स्कूल, फिर दोपहर तीन से पाँच बोर्ड एक्जाम की ट्यूशन, शाम 6 -7 एक और ट्यूशन, रात आठ से साढ़े दस तक पढ़ाई और फिर आधा घंटे अगले दिन स्कूल की तैयारी...। इन सबके बीच कृतिका को अपने गाल पर उग आए नए पिंपल तक को देखने की फुर्सत नहीं तो भला प्यार जैसी चीज के बारे में वे कैसे सोच सकती हैं?

हाँ... उन्हें यह जरूर मालूम है कि डॉक्टर बनने के बाद उनके सामने लड़कों की लाइन लग जाएगी! और यह भी कि उनकी जिससे शादी होगी, वही उनका सच्चा प्यार होगा। ऐसा उनकी मम्मी कहती हैं! इसलिए फिलहाल ऐसी 'फालतू' बातों में वे वक्त जाया नहीं कर सकतीं।

दूसरी ओर इलेवन्थ में पढ़ रहे अक्षत कुलकर्णी मानते हैं कि प्यार मतलब गर्लफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का साथ थोड़ा खर्चे भरा तो है लेकिन इससे दोस्तों में 'रेप्यूटेशन' बढ़ जाती है। हालाँकि उनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है पर शायद कॉलेज में जाकर वे बना लेंगे। वे मानते हैं कि फर्स्ट इंप्रेशन का बहुत फर्क पड़ता है। सच्चे प्यार की कहानियाँ तो बस फिल्मों में दिखाते हैं, असल जीवन में ऐसा कुछ शायद ही होता होगा। लाइफ को प्रैक्टिकल एप्रोच के साथ जीना चाहिए और प्यार में इमोशनल होना मूर्खता है।

शाश्वत प्यार का मतलब वे समझ नहीं पाए लेकिन उन्हें इतना जरूर मालूम है कि ब्रांडेड कपड़ों, सनग्लासेस, बाइक और टैटू से लड़कियाँ इंप्रेस होती हैं। ऐसा उनके दोस्त यश ने उन्हें बताया है, इसलिए जल्द ही अक्षत भी अपनी पॉकेटमनी बचाकर नए सनग्लासेस तो खरीद ही लेंगे।

यह तो एक 'स्पार्क' होता है
एक निजी कंपनी के कर्मचारी और एक बेटी के पिता के. कांत कहते हैं-'प्यार एक एहसास है और एहसास पैदा होने के लिए वर्षों की जरूरत नहीं होती है, वह एक स्पार्क होता है... जो बस एकाएक होता है। तो कहा जा सकता है कि प्यार पहली नजर में भी हो सकता है।" इसके शाश्वत होने को लेकर तो उन्हें संदेह है, लेकिन वे मानते हैं कि पल-दो पल का होता है, यह कहना भी निरापद नहीं है। हाँ, यह लंबे समय तक आपके जीवन का हिस्सा तो होता ही है। उतनी गर्मी और शिद्दत तो किसी भी भावना में लंबे समय तक नहीं रहती है, फिर भी प्यार की उम्र पल-दो पल तो नहीं हो सकती है।

रही प्यार के एक बार या कई बार होने की बात, तो कांत साहब के अनुसार-'प्यार तो किसी एक के ही साथ होता है क्योंकि इस भावना के तहत जो पैदा होता है, वह बार-बार नहीं पैदा होता। वैसा एक्सपिरियंस, वैसा डेडिकेशन और वैसा अफेक्शन चूँकि बहुत सारे लोगों के साथ नहीं हो पाता है, इसलिए प्यार किसी एक के ही साथ होता है।'

वे यह भी मानते हैं कि चूँकि प्यार में कोई शर्त, कोई माँग नहीं होती है, इसलिए इसकी उम्र लंबी होती है। हाँ, यह साल-दर-साल चलता है। अब चूँकि प्यार साल-दर-साल चलता है, इसलिए साथ रहने पर प्यार कम तो नहीं ही होता है, यह तो साथ रहने पर और गाढ़ा होता है...।

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