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नरेगा में मिल रहा है मुर्दों को रोजगार!!

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हमें फॉलो करें टवलाई बुजुर्ग
- जितेन्द्र जायसवाल
मध्यप्रदेश में धार जिले की ग्राम पंचायत टवलाई बुजुर्ग द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएँ हो रही हैं। पंचायत द्वारा सरकार को दिए गए आँकड़ों से यह पता चलता है कि नरेगा में रोजगार देने के नाम पर न केवल कई लोगों के नामों की फर्जी इंट्री की गई बल्कि हद तो यह है कि इसमें इस साल कुछ ऐसे भी लोगों को रोजगार देना बताया गया है जिनकी मृत्यु हुए कई साल हो चुके हैं।

ये तथ्य सरकारी रेकॉर्ड में दर्ज पंचायत द्वारा जमा दस्तावेज कह रहे हैं। नरेगा की इन सरकारी कार्य प्रदान रिपोर्टों पर नजर डालें तो भारी वित्तीय अनियमितताओं का होना साफतौर पर नजर आता है। इसमें नबिया, मांताबाई, मयकूलाल जैसे कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें अप्रैल 2008 से लेकर अब तक कई बार रोजगार देना बताकर भुगतान किया गया है जबकि वास्तविकता तो यह है कि इन सभी की मृत्यु हुए चार साल से अधिक समय हो चुका है। इतना ही नहीं कई ऐसे भी लोगों को रोजगार देना बताया गया है जो सालों से गाँव से बाहर हैं।

योजना में मृतकों को रोजगार देने की कोई जानकारी मुझे नहीं है। जो व्यक्ति काम माँगता है, उसे मजदूरी पर बुलाया जाता है, चाहे वो कितना भी अमीर हो
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भुवानसिंह ठाकुर, सचिव ग्राम पंचायत टवलाई बुजुर्ग
ऐसे तो दसियों नाम हैं जो गाँव के आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार हैं और जिन्हें इस योजना के तहत रोजगार की कोई आवश्यकता नहीं है। न केवल ऐसे लोगों का नियमों के विपरीत पंजीकरण किया गया है बल्कि उन्हें काम देना भी बताया गया है। इन परिवारों को अजा-जजा का बताकर ‍इनके नाम से इन्हें भुगतान करना बताया गया है जबकि स्वयं इन लोगों को पूछने पर पता चला कि उन्हें तो इस बात की जानकारी तक नहीं है। स्वयं सरपंच और उनके परिवार को इस योजना में कई कामों में भुगतान होना बताया गया है जो कई ट्रकों, मकानों और आलीशान गाड़ियों के मालिक हैं। कुछ नाम ऐसे भी हैं जो सरकारी सेवा में हैं और जिन्हें इस योजना में रोजगार देना बताया गया है।

कई ऐसे भी लोगों को रोजगार देना बताया गया है जिनकी उम्र इतनी अधिक हो चुकी है कि वे ठीक से अपने दैनिक कार्य भी नहीं कर सकते। सूची में कई नाम ऐसे हैं जिनकी उम्र 80 वर्ष से ऊपर दर्ज है और उन्हें कई दिन रोजगार देना बताया गया है। जबकि इनमें से कई लोगों की वास्तविक उम्र तो इससे भी ज्यादा है और वे अपने दैनिक कार्य भी ठीक से नहीं कर सकते। वे मजदूरी पर जा सकते हैं या नहीं इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। बहुत से सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लोगों को अजा-जजा का बताकर रोजगार देना बताया गया है जबकि वास्तविकता यह है कि वे कभी मजदूरी करते ही नहीं हैं। कई परिवारों के नाम से नियमों के विरूद्ध एक से अधिक जॉब कार्ड जारी किए गए हैं।

इन दस्तावेजों से रोजगार आवंटन में भारी वित्तीय घपला नजर आता है बल्कि जिन कामों में इन्हें रोजगार देना बताया गया है, उनका होना भी कागजों पर ही दिखाता है।

नामकाम देने की दिनांकव्यक्ति की स्थिति
मयकूलालमई 20092005 में मृत
नबिया शिवाअप्रैल 2008अत्यधिक वृद्धावस्था में 2006 में मृत
मांताबाईअप्रैल 20082004 में मृत
बसंती शोभाराममई 2009पिछले कई सालों से बच्चों समेत लापता, बच्चों को भी रोजगार देना बताया गया है
राजेन्द्र सूरतसिह जून 2009शासकीय सेवक
छगन सेकडियाजून 2009स्वयं सरपंच जिनके पास स्कॉर्पियो सहित कई गा‍ड़ियाँ हैं
मदनलाल किशनलालमई 2009आर्थिक रूप से समृद्ध, छह माह पहले दिल के गंभीर दौरे के कारण तब से बेड रेस्ट
श्याणीबाईजून 2009उम्र लगभग 95 वर्ष, अत्यधिक वृद्धावस्था के कारण लंबे समय से बिस्तर पर
हरिशंकर चोयलअगस्त 2009आर्थिक रूप से काफी समृद्ध, योजना में रोजगार की कोई जरूरत नहीं
दुर्गा पंडरीनाथमार्च 2009न कभी काम पर गईं, न उन्हें इसकी जानकारी है
मीना लोकेन्द्रमार्च 2008पति शासकीय सेवक, न कभी काम पर गईं, न उन्हें इसकी जानकारी है




























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