Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

उल्फा उग्रवादियों के परिजनों की अपील

Advertiesment
हमें फॉलो करें उल्फा उग्रवादियों के परिजनों की अपील
शिवसागर (भाषा) , सोमवार, 15 अक्टूबर 2007 (19:03 IST)
उल्फा के 30 सदस्यों के पारिवार के लोगों ने आज उग्रवादियों से सशस्त्र संघर्ष त्यागकर मुख्यधारा में लौटने की अपील की।

उग्रवादियों के पारिवार के सदस्यों ने सरकार से इस संकट को खत्म करने के लिए उग्रवादी संगठन से बातचीत की पहल करने को भी कहा।

उन्होंने कहा सरकार को बातचीत शुरू करने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि बातचीत और विचार विमर्श से ही इन जटिल समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। उग्रवादियों के ये परिवार सेना के 316 फील्ड रेजीमेंट द्वारा आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि उनके रिश्तेदार घर लौट आएँ क्योंकि उल्फा द्वारा छेड़ा गया सशस्त्र संघर्ष जाया गया है और उद्देश्य हासिल करने में कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
उग्रवादियों के इन रिश्तेदारों ने कहा दुनिया के किसी भी कोने में इस तरह के संघर्ष से कामयाबी मिलने का कोई उदाहरण नहीं मिलता।

इन लोगों ने जोर दिया कि असम में सम्माननीय तौर पर आजीविका कमाने के कई तरीके हैं और उन्हें अनिश्चितताओं का जीवन छोड़कर सामान्य जिंदगी में लौट आना चाहिए।

उल्फा सदस्य पराग बोरा, मनोज सैकिया, सीमांत गोगोई, मानसज्योति भुइयाँ, पलाश फूकन, दुलू बोरा, ब्रोजन काँवर, राजीव बोकोलिया और अन्य उग्रवादियों के अभिभावक इस समारोह में मौजूद थे।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए सेना के कर्नल नरेन्द्र बाबू और कर्नल कसाना ने आश्वासन दिया है कि यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं तो उल्फा सदस्यों के पुनर्वास के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएँगे।

उन्होंने कहा सदस्यों के पुनर्वास के लिए सेना ने विकास संबंधी और परियोजनाएँ शुरू करने की योजना बनाई है और हम आश्वस्त करते हैं कि भविष्य में वे बढ़िया जिंदगी व्यतीत कर सकेंगे।

कुख्यात उग्रवादी मिंटू बुरगोहायं उर्फ रामसिंह के पिता मैना ने अपने पुत्र से मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उन्होंने पुत्र के प्रतिबंधित संगठन से जुड़ाव के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा मेरा पुत्र पहले सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेता था, लेकिन प्रशासन ने उस पर उल्फा सदस्य होने का ठप्पा लगाया और उसे प्रताड़ित किया। उसके काफी बाद उसने इस संगठन से जुड़ने का फैसला किया और मैंने उससे आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया, लेकिन उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

दुलू बोरा के छोटे भाई ने उल्फा से आजादी का मोल समझने और स्वतंत्र असम की माँग छोड़ने का का आग्रह किया। उसने कहा कि स्वतंत्रता देश के लिए मुश्किल से हासिल की गई हकीकत है। उल्फा को समझना चाहिए कि आजादी कोई फल नहीं जो पेड़ से तोड़कर आसानी से खा लिया जाए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi