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अग्निवेश : डीएलएफ के फायदे के लिए काम कर रही है हरियाणा सरकार

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नई दिल्ली , शनिवार, 10 नवंबर 2012 (00:46 IST)
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सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डीएलएफ के फायदे के लिए काम कर रही है। उन्होंने मनोरंजन के मकसद से वन भूमि के इस्तेमाल के एक मामले में उच्चतम न्यायालय से दखल देने की भी मांग की।

अग्निवेश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त केंद्रीय अधिकार-प्राप्त कमेटी (सीईसी) ने कानून के विपरीत ऐसी सिफारिशें कीं, जो डीएलएफ की एक परियोजना को फायदा पहुंचाने वाली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) एवं हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास निगम (एचएसआईडीसी) ने एक मनोरंजन एवं विश्राम परियोजना के लिए गुड़गांव के वजीरपुर गांव में 350.72 एकड़ जमीन अधिगृहीत की है।

अग्निवेश ने कहा कि साल 2003 में एचएसआईडीसी ने ग्राम पंचायत की 278 एकड़ जमीन सार्वजनिक खर्च पर अधिगृहीत की, लेकिन इसी जमीन को नीलामी के जरिए डीएलएफ लिमिटेड को आवंटित कर दिया। कानूनन यह होता है कि पर्यावरण एवं अन्य मंजूरियां लेने का काम बोली लगाने वाले का होता है, लेकिन इस मामले में यह सरकार की जिम्मेदारी थी।

अग्निवेश ने कहा, जरूरी मंजूरियों के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का रुख करने के बजाय राज्य सरकार ने वन एवं पर्यावरण से जुड़ी एक लंबित जनहित याचिका में अर्जी दायर कर उच्चतम न्यायालय का रुख किया और एक मनोरंजन एवं विश्राम परियोजना के लिए जमीन का इस्तेमाल करने की गुहार लगाई।

समाजसेवी अन्ना हजारे के पूर्व सहयोगी अग्निवेश ने कहा कि सीईसी की रिपोर्ट से साफतौर पर यह जाहिर होता है कि इसके सदस्यों और राज्य की नौकरशाही में पहले से ही समझौता था। उन्होंने कहा कि सीईसी ने कुछ शर्तों के साथ मनोरंजन एवं विश्राम परियोजना के लिए जमीन का इस्तेमाल करने देने की सिफारिश की थी, जो कि कानूनन गलत था।

इत्तेफाक से सीईसी ने बैकाल में राष्ट्रहित की एक रक्षा परियोजना इस आधार पर रद्द करने की सिफारिश की थी कि जिस जमीन पर परियोजना का विकास होना है, वह वन भूमि है। हालांकि बाद में सीईसी ने यही वन भूमि अनुपूरक वानिकीकरण के लिए डीएलएफ को देने की सिफारिश की थी।

उन्होंने मांग की कि मार्च 2011 में दायर इस याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए और गांव को जमीन वापस कर दी जाए। अग्निवेश ने उच्चतम न्यायालय से मांग की कि यह अनुमति दिए जाने में सीईसी सदस्यों की भूमिका की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया जाए। (भाषा)

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