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क्या हुआ था 1984 के दंगों में, पढ़ें...

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हमें फॉलो करें 1984 सिख विरोधी दंगा
, गुरुवार, 30 जनवरी 2014 (14:15 IST)
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31 अक्टूबर 1984 चौरासी को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगा भड़क गए जिसमें आधिकारिक रूप से 2733 सिखों को निशाना बनाया गया। गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 3870 थी। दंगों का सबसे अधिक असर दिल्ली पर हुआ। देशभर में सिखों के घरों और उनकी दुकानों को लगातार हिंसा का निशाना बनाया गया।

भारत में दंगों का इतिहास और राजनीति

सिख विरोधी दंगे, जख्म गहरे हैं...


दिल्ली में खासकर मध्यम और उच्च मध्यमवर्गीय सिख इलाकों को योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया गया। राजधानी के लाजपत नगर, जंगपुरा, डिफेंस कॉलोनी, फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग, पटेल नगर, सफदरजंग एनक्लेव, पंजाबी बाग आदि कॉलोनियों में हिंसा का तांडव रचा गया। गुरुद्वारों, दुकानों, घरों को लूट लिया गया और उसके बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।

इंदिरा गांधी के मरने के बाद प्रधानमंत्री बने उनके बेटे राजीव गांधी ने हिंसा के जवाब में कहा कि जब कोई मजबूत पेड़ गिरता है तब उसके आसपास की धरती हिलती ही है। इस दौरान भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का काफीला दंगाइयों के गुस्से का पहला निशाना बना। भीड़ ने तीन गाड़ियों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। बुलेट-प्रूफ गाड़ी में होने के चलते ज्ञानी जैल सिंह बच गए।

इंदिरा गांधी की हत्या क्यों : पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए इंदिरागांधी ने 5 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करवाया जिसके चलते प्रमुख आतंकवादी भिंडरावाला सहित कई की मौत हो गई और इस कार्रवाई में स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों को क्षति पहुंची।

पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सिर उठाने लगी थीं और उन ताकतों को पाकिस्तान से हवा मिल रही थी। पंजाब में भिंडरावाले का उदय इंदिरा गांधी की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं के कारण हुआ था। लेकिन बाद में भिंडरावाले की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएं देश को तोड़ने की हद तक बढ़ गई थीं। जो भी लोग पंजाब में अलगाववादियों का विरोध करते थे, उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता था। भिंडरावाले की मौत का बदला लेने के लिए ही इंदिरा गांधी की हत्या कर दी।

सिख दंगे से जुड़ा घटनाक्रम और न्याय प्रक्रिया...


* आज इस घटना को लगभग ढाई दशक से ज्यादा वक्त हो चुका है। इस मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट द्वारा अप्रैल में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिए जाने के बाद से दंगा पीड़ितों के जख्म एक बार फिर हरे हो गए हैं। इससे पहले कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए टाइटलर की भूमिका की जांच दोबारा से करने का आदेश दिया था।

* सिख दंगों के सिलसिले में अब तक 10 विभिन्न कमीशनों और समितियों का गठन हो चुका है जिसके नतीजे में कई पुलिसवालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश भी की गई थी लेकिन कुल 12 कत्ल के मामलों में अब तक 30 लोगों का ही अदालत में अपराध सिद्व हुआ है।

* दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने अप्रैल को 1984 की सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। दिल्ली कैंट दंगा मामला कहे जाने वाले इस केस में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ एक भी सबूत नहीं था, सिर्फ बयानों पर यह केस चल रहा था। सज्जन कुमार पर पांच लोगों की हत्या का आरोप था।

* इस मामले में अन्य पांच आरोपियों में से तीन पर हत्या की बात साबित हुई है। इसके अलावा दो अन्य पर दंगा का मामला साबित हुआ है। बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी हत्या के दोषी पाए गए हैं। इस फैसले के आने के बाद सिख समुदाय के बहुत लोग नाराजगी जाहिर करते हुए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।

*इससे पहले दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए दंगों में कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर की भूमिका की जांच दोबारा से करने का आदेश दिया था।

* सिख विरोधी दंगा मामले में कड़कड़डूमा अदालत ने पीड़ितों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी। यह मामला 1 नवंबर 1984 को पुलबंगश गुरुद्वारा के पास तीन सिखों की हत्या का है, जिसमें टाइटलर पर भड़काऊ भाषण देने और भीड़ की अगुवाई करने के आरोप है।

सिख दंगों के मुकदमे में कब क्या हुआ, अगले पन्ने पर...


* सबसे पहले 2005 में नानावटी कमीशन ने अपने जांच में जगदीश टाइटलर का नाम लिया। उसके बाद सीबीआई ने टाइटलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसके चलते टाइटलर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। टाइटलर पर आरोप है कि सिखों की हत्या के वक्त वो वहां मौजूद थे। इससे पहले 29 सितंबर 2007 को कोर्ट में पहली क्लोजर रिपोर्ट दी थी।

* रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि इस मामले का मुख्य गवाह जसबीर सिंह लापता है और वो नहीं मिल रहा है, लेकिन जसबीर सिंह को कैलिफोर्निया से ढूंढ निकाला गया। जसबीर सिंह का कहना था कि सीबीआई ने कभी उससे पूछताछ ही नहीं की। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले की फिर से जांच करने का निर्देश दिया था।

* कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने कुल 6 गवाहों के बयान दर्ज किए इसमें जसबीर सिंह भी शामिल था। सीबीआई ने कैलिफोर्निया जाकर जसबीर सिंह का बयान दर्ज किया था। लेकिन फिर भी सीबीआई ने उसे भरोसेमंद गवाह नहीं माना

*सीबीआई ने अप्रैल 2009 में एक बार फिर से मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक 1 नवंबर 1984 को पुलबंगश में हुए दंगे के दौरान टाइटलर मौके पर मौजूद नहीं थे। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट मे कहा कि टाइलटर उस वक्त दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निवास तीन मूर्ति भवन में थे। इस नरसंहार के गवाह जसवीर सिंह की सीबीआई को लंबे समय से तलाश थी।

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