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बारिश का तांडव, केदारनाथ का प्रवेश द्वार ध्वस्त

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हरिद्वार , बुधवार, 19 जून 2013 (10:23 IST)
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हरिद्वार। हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ में भारी बारिश के बाद चारों ओर तबाही का मंजर है। प्रकृति की विनाशलीला में चमत्कारिक रूप से केदारनाथ मंदिर तो बच गया लेकिन आसपास के समूचे क्षेत्र के साथ ही मंदिर का प्रवेश द्वार भी ध्वस्त हो गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कहा है कि केदारनाथ के मंदिर के ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आसमान से बरसी कयामत में 130 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और दोनों राज्यों के तीर्थ स्थानों में 70 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री फंसे हुए हैं।

सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके कहा, 'उत्तराखंड में हुई बारिश में हजारों लोग मारे जा चुके हैं। अभी तक कोई राहत कार्य शुरू नहीं हुए हैं। हालांकि सुषमा के दावे की पुष्टि नहीं हुई है।

केदारनाथ मंदिर : उत्तरी भारत के पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश की वजह से कई जगहों पर जानमाल की हानि हुई है। जानकारी के मुताबिक भारी बारिश और बाढ़ की वजह से केदारनाथ मंदिर को भी नुकसान पहुंचा है। मंदिर में मलबा घुसने और इसमें दरार पड़ने की भी खबर है। हालांकि अभी इस खबर की पुष्टि नहीं हो पाई है।

केदारनाथ में तैनात पीएसी के 40 जवानों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। प्रारंभिक सूचनाओं के अनुसार केदारनाथ-गौरीकुंड पैदल मार्ग पर स्थित रामबाड़ा में कुछ नजर नहीं आ रहा। शासन और प्रशासन भी इस बाबत कोई जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। यहां पर मौसम खराब होने के कारण करीब आधा घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन रुका रहा। अब तक केदारनाथ से 700 यात्रियों को हेलिकाप्टर के जरिये सकुशल निकाल गुप्ताकशी और फाटा ले जाया गया है।

मंदिर परिसर का एक हिस्सा पानी में बहा : बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्य अधिकारी अनसूया सिंह नेगी ने कहा, ‘हमें खबर मिली है कि मंदिर परिसर का एक हिस्सा बह गया है, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। चूंकि वहां पहुंचना संभव नहीं है, ऐसे में नुकसान का सटीक आकलन नहीं किया जा सकता। समय पर मंदिर से सूचना मिल पाना संभव नहीं है क्योंकि संचार संपर्क टूट गए हैं।’

अधिकारी ने कहा कि प्रशासन फंसे हुए श्रद्धालुओं की मदद के लिए यथासंभव प्रयास कर रहा है लेकिन कठिन भौगोलिक स्थिति और बिगड़ते मौसम के चलते इन प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर से बचाव दल भेजने की कोशिश चल रही है।

यह मंदिर समुद्र तल से 3581 मीटर की ऊंचाई पर है। गौरी कुंड से 14 किलोमीटर दूर इस स्थान पर टट्टू द्वारा या ट्रेकिंग कर या फिर हेलीकॉप्टर से पहुंचा जा सकता है लेकिन खराब मौसम के चलते दोनों ही मार्ग अव्यावहारिक हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से अब तक 131 लोगों के मारे जाने की खबर है। (भाषा)

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