नई दिल्ली। भाजपा ने मंगलवार को मौजूदा संसद सत्र के शेष दिनों में संसदीय कामकाज के लिहाज से लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री द्वारा बुलाई किसी भी बैठक में भाग नहीं लेने का ऐलान किया, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर संसदीय परंपराओं में विश्वास नहीं होने का आरोप लगाया।पार्टी ने सरकार की उलटी गिनती शुरू होने की बात कही, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल उसका सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई विचार नहीं है।लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आज निम्न सदन में वित्त विधेयक पारित होने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व सहमति के आधार पर जब वह सदन में अपनी बात रख रही थीं तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर सत्ता पक्ष के लोगों ने उनके वक्तव्य के दौरान बाधा डाली।उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी उनका संरक्षण नहीं किया और सत्ता पक्ष के लोगों को बिठाने के बजाय उन्हें ही बैठने के लिए कहा। सुषमा ने कहा कि बाधा डालने में सबसे अग्रणी भूमिका संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की रही।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसलिए हमने निर्णय लिया है कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई किसी बैठक में या संसदीय कार्य मंत्री की किसी बैठक में पार्टी शामिल नहीं होगी।सुषमा ने कहा कि मेरा पूरी जिम्मेदारी के साथ आरोप है कि यूपीए की चेयरपर्सन और कांग्रेस अध्यक्ष हिंदुस्तान की संसदीय परंपराओं में तनिक भी विश्वास नहीं करतीं। लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए उनके मन में कोई सम्मान नहीं है। यही कारण है कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस के लोग, चाहे सरकार में हों या बाहर, एक-एक करके सारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को तोड़ रहे हैं।सुषमा ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे कैग पर फब्तियां कसते हैं, वो पीएसी में हुड़दंग करते हैं, वो जेपीसी में पक्षपात करते हैं, वो सीबीआई पर दबाव बनाते हैं, वह शीर्ष अदालत को गुमराह करते हैं और संसद में विपक्ष को बोलने नहीं देते।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में तय हुआ था कि आज वित्त विधेयक पारित होने से पहले वह अपनी बात रखेंगी और फिर भाजपा सदन से बहिर्गमन करेगी। हम संवैधानिक बाध्यता और राष्ट्रहित के चलते महत्वपूर्ण विधेयकों में बाधक नहीं बनना चाहते थे।सुषमा ने कहा कि हम किसी व्यक्तिगत हित साधना के लिए संसद की कार्यवाही बाधित नहीं कर रहे। इस सरकार ने एक के बाद एक घोटाले किए और इस घोटाले में लिप्त मंत्रियों और प्रधानमंत्री को बचाने के सरकार के रुख पर आज उच्चतम न्यायालय की भी तीखी प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि संभवत: पहले किसी सरकार को ऐसी तीखी टिप्पणी शायद नहीं सुननी पड़ी हो। कोई सुनना ही नहीं चाहता, कैसे हो चर्चा... आगे पढ़ें...
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार कहती है कि हर तरह की चर्चा के लिए तैयार है। जो सत्ता पक्ष के लोग पांच मिनट नेता प्रतिपक्ष की बात सुनने का धीरज नहीं रखते वो चर्चा कैसे होने देंगे। चर्चा में दिए आश्वासन से तो यह सरकार रोजाना मुकरती है।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के कांग्रेस सांसद संसद द्वार पर धरना दे रहे हैं। अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण के संसद में दिए आश्वासन से यह सरकार मुकर गई। ऐसी चर्चाओं का हम क्या करें? सुषमा ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में जो भी हो, लेकिन सदन में वही होगा जो सोनिया चाहेंगी।
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ। हर बार वे (सोनिया) इस उपद्रव का संचालन करती हैं। सरकार से संवाद टूटने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संवाद करके क्या करेंगे, संवाद से ही हमने वित्त विधेयक पारित करने की बात मान ली, लेकिन उन्हें सत्ता पक्ष के लोगों ने बोलने तक नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह कदम भी सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत लिया गया है। (भाषा)