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मायावती ने अटकाई जाँच-सीबीआई

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नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 14 जुलाई 2008 (21:37 IST)
उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा अपनी 9.78 करोड़ रुपए की जमा राशि के बारे में ब्योरा कथित रूप से पेश नहीं किए जाने के बीच सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि बसपा प्रमुख जाँच एजेंसी के समक्ष विभिन्न अर्जियाँ दायर कर मामले में विलंब करने की रणनीति अपना रही हैं।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल जवाबी हलफनामे में उनकी आय का ब्योरा देते हुए सीबीआई ने आरोप लगाया कि मायावती ने उन संस्थानों और बैंकों का ब्योरा नहीं दिया है, जहाँ इन राशियों को जमा करवाया गया है।

सीबीआई ने कहा कि उन्होंने कृषि संपत्ति सहित अपने नाम पर अन्य अचल सपंत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। इस बारे में जाँच चल रही है।

अकबरपुर लोकसभा सीट से 2004 का चुनाव लड़ते समय मायावती द्वारा दाखिल ‍किए गए घोषणा-पत्र को शामिल करते हुए सीबीआई ने कहा कि मायावती बैंक, वित्तीय संस्थानों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में 9.87 करोड़ रुपए जमा होने की बात स्वयं स्वीकारी है, लेकिन उन्होंने अभी तक जाँच एजेंसी को इसका कोई ब्योरा नहीं दिया है।

हलफनामे के समय के बारे में सीबीआई ने कहा कि इस भारी-भरकम मामले की जाँच 2006 में पूरी हो गई थी, लेकिन इसमें आगे जाँच करनी पड़ी क्योंकि याचिकाकर्ता ने अपनी विभिन्न अर्जियों में आपत्ति जताई थी।

मायावती द्वारा उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी को खारिज करवाने के लिए शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका के जवाब में सीबीआई के हलफनामे में कहा गया वास्तव में याचिकाकर्ता (मायावती स्वयं) अपैल 2005 तक जाँच में सहयोग नहीं कर रही थीं।

इसमें कहा गया कि आय से अधिक संपत्ति के बड़े मामलों की जाँच वर्ष 2006 में पूरी कर ली गई थी। इस बीच याचिकाकर्ता ने 17 जुलाई, 2006 को एक अर्जी दी जिसमें कहा गया कि उनकी उचित तरीके से जाँच नहीं की गई और उनकी फिर से जाँच की जानी चाहिए।

सीबीआई ने अपने हलफनामे के साथ उन सभी अर्जियों को संलग्न किया है, जो मायावती और उनके परिजनों ने दी थीं। जाँच एजेंसी ने दावा किया कि बसपा नेता और उनके परिजनों ने 2005-07 के बीच कई अर्जियाँ दी, जिनकी पूरी जाँच करने की जरूरत थी। हलफनामे में कहा गया कि इससे जाँच संपन्न करने में विलंब हुआ।

मायावती द्वारा उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के आरोपों के संदर्भ में सीबीआई ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर ही मामला दर्ज किया गया और जाँच की गई। बसपा नेता ने आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है, जिससे सीबीआई ने इनकार किया है।

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