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सचिन और वैज्ञानिक राव को भारत रत्न

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, शनिवार, 16 नवंबर 2013 (17:31 IST)
नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट से आज ही संन्यास की घोषणा करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर और वैज्ञानिक प्रो. सीएनआर राव को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। सरकार ने कई वर्षों बाद भारत रत्न पुरस्कार दिए हैं। पिछली बार यह पुरस्कार पंडित भीमसेन जोशी को दिया गया था।
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सचिन तेंदुलकर : अपने 24 साल के गौरवपूर्ण अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत करने वाले तेंदुलकर को वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में उनके विदाई टेस्ट के समाप्त होते ही इस शीर्ष पुरस्कार के लिए चुन लिया गया राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामोनी की एक संक्षिप्त बयान जारी करके कहा कि राष्ट्रपति ने तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला किया है, जिन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा।

तेंदुलकर ने सबसे सफल बल्लेबाज के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। उन्होंने 200 टेस्ट में 15921 रन बनाने के अलावा 463 वनडे मैचों में 18426 रन भी बनाए। मुंबई का यह बल्लेबाज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जड़ने वाला एकमात्र बल्लेबाज है। वह वनडे मैचों में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज भी हैं।

यह पुरस्कार तेंदुलकर को विदाई का सर्वश्रेष्ठ तोहफा है, जिनके 24 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर ने उन्हें क्रिकेटरों की पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनाया। तेंदुलकर को भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से चल रही थी और पिछले साल इस पुरस्कार की पात्रता में भी संशोधन किया गया, जिससे कि खिलाड़ियों को भी इसकी योग्यता सूची में शामिल किया जा सके।

प्रो. सीएनआर राव : भारत रत्न से सम्मानित किए जाने वाले देश के प्रमुख रसायन वैज्ञानिक डॉ. सीएनआर राव की ठोस अवस्था सॉलिड स्टेट एवं और स्ट्रक्चरल रसायन विज्ञान में भारत ही नहीं दुनिया भर मे कोई सानी नहीं है।

डॉ. राव ने केवल उत्कृष्ट रसायनशास्त्री है बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधनमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वह सन 1985 में प्रथम बार और सन 2005 में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं।

डॉ. राव पचास से अधिक वर्षों से शोध कार्यों में संलग्न हैं। अब तक उनके करीब 1400 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने करीब 50 पुस्तकों का लेखन अथवा संपादन किया है। उनका ठोस (सॉलिड) और स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच आधारभूत समझ विकसित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

राव कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए। सन 1964 में उन्हें 'इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस' का सदस्य नामित किया गया। सन 1967 में 'फैराडे सोसायटी ऑफ इंग्लैंड' ने राव को मार्लो मेडल प्रदान किया गया।

सन 1968 में राव भटनागर अवॉर्ड से विभूषित हुए। सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड और सन 1999 में वह इंडियन साइंस कांग्रेस द्वारा शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए। भारत सरकार ने उन्हें 1974 में पदमश्री और 1985 में पद्‍मविभूषण के अलंकरण से विभूषित किया।

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