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सत्यव्रत शास्त्री को ज्ञानपीठ पुरस्कार

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नई दिल्ली (भाषा) , बुधवार, 19 अगस्त 2009 (22:13 IST)
डॉ. सत्यवीर शास्त्री बुधवार को संस्कृत के पहले ऐसे रचनाकार बन गए, जिन्हें भारतीय साहित्य के शीर्ष सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

संसदीय सौध के बालयोगी सभागार में हुए एक आयोजन में थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री सिरिन्थौन ने शास्त्री को वर्ष 2006 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार के रूप में उन्हें सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और सात लाख रुपए का ड्राफ्ट प्रदान किया गया।

राजकुमारी सिरिन्थौन ने इस अवसर पर कहा कि डा. शास्त्री को ज्ञानपीठ पुरस्कार देने से संस्कृत का सम्मान हुआ है। राजकुमारी शास्त्री की शिष्या रह चुकी हैं और उन्होंने संस्कृत में परास्नातक की उपाधि ली है।

इस अवसर पर डा. शास्त्री ने कहा कि देवभाषा संस्कृत के प्रति विश्व के कई देशों में लोगों की रुचि बढ़ रही है। शास्त्री ने कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कर उन्हें और साहित्य रचने की प्रेरणा मिलेगी।

उन्होंने बताया कि वे एक विश्व काव्य रच रहे हैं। इसके अलावा वे यूरोप के प्रमुख प्राचीन एवं आधुनिक कवियों की रचनाओं का अनुवाद पर आधारित रचना की योजना बना रहे हैं।

डॉ. शास्त्री की सर्वाधिक चर्चित कृति श्रीरामकीर्तिमहाकाव्यम है। इसके अलावा वे कई महाकाव्य, खंडकाव्य, प्रबंध काव्य, डायरी और आलोचनात्मक कृतियों की रचना कर चुके हैं।

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