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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में 49 खनन पट्टे रद्द किए

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नई दिल्ली , गुरुवार, 18 अप्रैल 2013 (16:42 IST)
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों पर गुरुवार को कर्नाटक में बेलारी, तुंकुर और चित्रांगदा जिलों में सबसे अधिक अनियमितता करने वाले 49 खनन पट्टे रद्द कर दिए लेकिन कम अवैधता वाली खदानों में खनन गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दे दी।

समिति ने इस इलाके में खदानों की ए, बी और सी श्रेणियां बनाई थ‍ीं। सबसे कम या नगण्य अनियमितताओं वाली खदानों को ‘ए’ श्रेणी में रखा गया था जबकि सबसे अधिक अनियमितता करने वाली खदानों को ‘सी’ श्रेणी में रखा गया था।

न्यायमूर्ति आफताब आलम, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने कर्नाटक में खनन के मसले पर जुलाई 2011 से समिति की अधिकांश सिफारिशें स्वीकार करते हुए कहा कि आंध्रप्रदेश-कर्नाटक सीमा पर लौह अयस्क का गैरकानूनी खनन दोनों राज्यों के बीच सीमा का निर्धारण पूरा होने तक निलंबित रहेगा।

न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन समाज परिवर्तन समुदाय की याचिका पर यह आदेश दिया। इस संगठन का आरोप था कि बेल्लारी, तुमकुर और चित्रांगदा जिलों में खनन की लाइसेंसधारक निजी कंपनियों के साथ-साथ ही सरकारी स्वामित्व वाली मैसूर माइनिंग लि. भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और अवैध काम कर रही हैं।

शीर्ष अदालत ने 3 सितंबर 2012 को कर्नाटक में खनन कार्य पर लगी रोक आंशिक रूप में हटाते हुए ‘ए’ श्रेणी के 18 पट्टाधारकों को कुछ शर्तें पूरी करने पर लौह अयस्क के खनन के लिए हरी झंडी दे दी थी।

न्यायालय ने इस संबंध में समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली थीं। समिति ने इन 3 जिलों में 18 कंपनियों को कारोबार करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी। (भाषा)

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