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‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन

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हमें फॉलो करें वर्गीज कुरियन
, सोमवार, 10 सितम्बर 2012 (13:21 IST)
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भारत को दूध की कमी से जूझने वाले देश से दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉ वर्गीज कुरियन ने देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखी थी। वर्गीज कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर 1921 को हुआ था।

कुरियन का छात्र जीवन : वर्गीस ने लोयोला कॉलेज से 1940 में स्नातक करने के बाद चेन्नई के गिंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई।

बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।

आणंद को बनाया कर्मस्थली- वर्गीज कुरियन ने गुजरात के आंणद में एक छोटे से गैराज से अमूल की शुरुआत करनी पड़ी। कुरियन का सपना था देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ ही किसानों की दशा सुधारना। उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की। उस समय डेयरी उद्योग पर निजी लोगों का कब्जा था। उन्होंने ज्ञान और प्रबंधन पर आधारित संस्थाओं का विकास किया।

कुरियन ने गुजरात में वर्ष 1946 में दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 16,100 है। इस संघ से 32 लाख दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं। भैंस के दूध से पावडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे। इससे पहले गाय के दूध से पावडर का निर्माण किया जाता था।

अमूल का जन्म : उनका पेशेवर जीवन सहकारिता के माध्यम से भारतीय किसानों को सशक्त बनाने पर समर्पित था। उन्होंने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवनदास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गई थी।

बाद में पटेल ने कुरियन को एक डेयरी प्रसंस्करण उद्योग बनाने में मदद करने के लिए कहा जहां से ‘अमूल’ का जन्म हुआ। भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का श्रेय भी कुरियन को जाता है। उन दिनों दुनिया में गाय के दूध से दुग्ध पाउडर बनाया जाता था।

कुरियन का सफर : अमूल की सफलता से अभिभूत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।

एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं। साठ के दशक में भारत में दूध की खपत जहां दो करोड़ टन थी वहीं 2011 में यह 12.2 करोड़ टन पहुंच गई।

1965 के बाद के 33 वर्षों में उनके बनाए सहकारिता पर आधारित अमूल मॉडल का अनुकरण पूरे देश में किया गया। कुरियन 1965-1998 तक एनडीडीबी के संस्थापक प्रमुख, 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे।

कुरियन को सम्मान : कुरियन को भारत सरकार पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रैमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।

कुरियन को अंतिम विदाई : कुरियन 90 साल के थे और उनके परिवार में पत्नी मॉली कुरियन और पुत्री निर्मला हैं। आणंद में विभिन्न धर्मों के पुरोहितों की उपस्थिति में उनका दाह संस्कार कर दिया गया। उनके पोते सिद्धार्थ ने अंतिम संस्कार किया। उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनका दाह संस्कार किया गया।

गौरतलब है कि आणंद से करीब 25 किलोमीटर दूर नादियाड में मुलजीभाई पटेल यूरोलॉजीकल अस्पताल में रात सवा एक बजे कुरियन का निधन हो गया था। उनका पार्थिव वहां से यहां उनके निवास पर लाया गया और उसे आणंद में अमूल डेयरी के सरदार हाल में रखा गया जहां लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। (एजेंसी)

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