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...तो बॉलीवुड आ सकता है कश्मीर-घई

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हमें फॉलो करें सुभाष घई
चंडीगढ़ (भाषा) , रविवार, 28 जून 2009 (18:57 IST)
फिल्मकार सुभाष घई ने कहा है कि अगर फिल्म उद्योग को जनसमर्थन मिले तो बॉलीवुड कश्मीर की ओर एक बार फिर रुख कर सकता है।

घई ने एक साक्षात्कार में कहा कि वहाँ राजनीतिक इच्छा है, लेकिन जब तक लोग समर्थन नहीं करते तब तक चीजें नहीं बदल सकतीं।

कर्ज, कालीचरण, रामलखन, कर्मा, मेरी जंग और ताल जैसी हिट फिल्मों के चलते शोमैन के रूप में पहचाने जाने वाले इस निर्देशक ने कहा कि आतंकवाद प्रभावित राज्य के हालात में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है।

कश्मीर बॉलीवुड का पसंदीदा पड़ाव रहा है और आरजू, आन मिलो सजना, कश्मीर की कली और सिलसिला जैसी फिल्मों की शूटिंग यहाँ की वादियों में ही हुई, लेकिन राज्य में आतंकवाद बढ़ने पर फिल्मकारों ने स्विट्‍जरलैंड या मनाली जैसे स्थानों को तरजीह दी। घई ने अपनी फिल्म कर्मा की शूटिंग घाटी में की है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर बॉलीवुड का पसंदीदा पड़ाव बना हुआ है, लेकिन चीजें बदलने के लिए लोगों की इच्छा की जरूरत होगी।

घई ने कहा कि हम जानते हैं कि कश्मीर के सौंदर्य की कोई तुलना नहीं है। मैंने अपनी पत्नी के साथ हाल ही में ज्यूरिख का दौरा किया, लेकिन वहाँ के शानदार सौंदर्य के बावजूद यह तुरंत महसूस हुआ कि कश्मीर के अलावा किसी और स्थान में वह बात नहीं है। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में पंजाबियों का दबदबा होने के बावजूद पंजाब सरकार ने कला तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया।

घई ने कहा यह दुखद है कि पंजाब में एक के बाद एक आईं सरकारों ने कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया। बीते 50 वर्ष से भी अधिक समय में 80 फीसदी बॉलीवुड पर पंजाबियों का दबदबा रहा है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण में फिल्म उद्योग सरकार की इच्छा के कारण फल-फूल रहा है क्योंकि वहाँ सरकारें कला और संस्कृति को बढ़ावा देती हैं।

फिल्मकार ने कहा कि रजनीकांत को दक्षिण में अपनी फिल्म के लिए 30 करोड़ रुपए की बड़ी राशि मिल सकती है, लेकिन पंजाबी फिल्म जगत का बड़ा सितारा इसका कुछ हिस्सा हासिल करने के बारे में भी सोच नहीं सकता।

व्हिसलिंग वूड्स एक्टर स्टूडियो चलाने वाले घई ने कहा कि ऐसे संस्थान विकसित करने की जरूरत है, जो पंजाब में आने वाली प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर सकें।

घई ने कहा दिलीप कुमार, गुरुदत्त और यहाँ तक कि अमिताभ बच्चन के समय में रहीं चीजें बदल चुकी हैं। खुद में सुधार लाने के लिए अमिताभ को कुछ फ्लॉप और जैकी श्राफ को कुछ और फ्‍लॉप फिल्में लगीं, लेकिन वर्तमान में प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है। काम करने के दौरान सीखने की वस्तुत: कोई गुंजाइश नहीं है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी अभिनय के लिए विशेष प्रशिक्षिण संस्थान हैं और निर्देशन सिनेमेटोग्राफी तकनीकी विशेषज्ञता तथा एनिमेशन के लिए संबद्ध पाठ्यक्रम हैं।

पिछले वर्ष फिल्म युवराज बनाने वाले घई बॉलीवुड में इन दिनों बनाई जा रही फिल्मों की गुणवत्ता से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई होनहार निर्देशक हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं।

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