यह वटी रक्त विकार दूर करके चर्म रोगों को नष्ट करने की एक अत्यंत विश्वसनीय, सफल सिद्ध और श्रेष्ठ औषधि है। त्वचा में खुजली पैदा करने वाले कीटाणुओं को पोषण मिलना बन्द करने में इस वटी का जवाब नहीं
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रहती है और कुछ रोगों और कुछ रोगियों की अवस्था के अनुसार, अन्य औषधियों को भी इस वटी के साथ सेवन कराया जाता है। यह इस वटी का चमत्कार ही है कि अन्य औषधियों के साथ प्रमुख औषधि के रूप में इस वटी का सेवन कराने पर सोरायसिस जैसे कठिन साध्य और कई मामलों में असाध्य सिद्ध होने वाले रोग से ग्रस्त रोगियों को इस दुष्ट रोग से मुक्त किया जा सका है।
कुष्ठ रोग : त्वचा पर जगह-जगह सफेद दाग होना, लाल-लाल चकत्ते होना और ठीक ही न होना, बेवची होना, पामा, दाद और कुष्ठ रोग का प्रभाव होना आदि शिकायतों को दूर करने के लिए, पंचनिम्बादि वटी 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करना चाहिए।
परहेज : मांसाहार, शराब, तेज मिर्च-मसाले, कच्चा दूध और भारी चिकने पदार्थों का सेवन बन्द रखना चाहिए। परहेज का पालन करते हुए यह प्रयोग करने पर धीरे-धीरे ये व्याधियाँ ठीक हो जाती हैं।
* इस रोग के रोगी को शकर, चावल, गाय का घी, केला, सेन्धा नमक, हलके सुपाच्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। नमक, खट्टे पदार्थ, अरहर की दाल, अधिक चाय-कॉफी, तेज मिर्च-मसाले, बीड़ी-सिगरेट और सूर्य की तेज धूप इन सबका सेवन नहीं करना चाहिए या कम से कम करना चाहिए।