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मालानी नस्ल के घोड़ों का आकर्षण

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बाड़मेर (वार्ता) , शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008 (15:03 IST)
राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के तिलवाड़ा में विख्यात मल्लीनाथ पशु मेले में मालानी नस्ल के घोड़े मुख्य आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। गत वर्ष इस नस्ल का घोड़ा यहाँ सवा दो लाख रुपए में बिका था।

अपनी श्रेष्ठ गुणवता के कारण मालानी नस्ल के घोड़े देश-विदेश मे पहचान बना चुके हैं और इनकी खरीद-फरोख्त के लिए लोग तिलवाड़ा मेले में पहुँचते है। पोलो एवं रेसकोर्स के लिए इन घोड़ों की माँग लगातार बढ़ रही हैं।

दौड़ते समय मालानी नस्ल के घोड़े के पिछले पैर अपने पैरों की तुलना में अधिक गतिशील होने के कारण अगले पैरों से टक्कर मारते हैं, जो इसकी चाल की खास पहचान है। इनके ऊँचे कान आपस मे टकराने पर इनका आकर्षण बढ़ जाता हैं और ये घोड़े कानों के दोनो सिरों से सिक्का तक पकड़ लेते हैं।

चाल व गति में बेमिसाल इन घोड़ों की सुदरंता ऊँचा कद तक मजबूत कद काठी देखते ही बनती हैं। इनमें लाल रंग का घोड़ा सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र होता हैं। मालानी नस्ल की उत्पत्ति काठिया वाड़ी और सिंधी नस्ल के घोडों से हुई हैं।

मेला प्रभारी एवं पशुपालन अधिकारी डॉ. वीआर जैदिया के अनुसार मेले में अब तक 1700 से अधिक घोड़े आ चुके हैं और यह सिलसिला जारी हैं। पिछले पाँच सालो में मालानी नस्ल के घोड़ों की बिक्री बढ़ी हैं। पोलो धुडदौड़ रेसकोर्स खेलकूद पुलिस तथा सेना के अलावा फ्रांस जर्मनी स्विटजरलैंड इटली इंग्लैंड नार्वे ऑस्ट्रिया तथा हालैंड आदि देशों में भी इस नस्ल के घोड़ों की माँग अधिक है।

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