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राठौर की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

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चंडीगढ़ , सोमवार, 18 जनवरी 2010 (21:44 IST)
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रुचिका गिरहोत्रा मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर की अग्रिम जमानत याचिकाओं तथा आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप को निरस्त करने संबंधी उसकी याचिका पर सुनवाई 25 जनवरी तक के लिए रविवार को स्थगित कर दी। वहीं, सीबीआई ने यह कहते हुए पूर्व डीजीपी को कोई भी राहत दिए जाने का विरोध किया कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड कर सकते हैं और गवाहों को डरा-धमका सकते हैं।

न्यायमूर्ति सबीना ने तीन मामलों में सुनवाई स्थगित कर दी। इनमें ताजा प्राथमिकियों को लेकर दो अग्रिम जमानत याचिकाएँ भी शामिल हैं। इन ताजा प्राथमिकियों में राठौर पर गंभीर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं।

मामले की सुनवाई राठौर की अधिवक्ता पत्नी आभा द्वारा रुचिका के परिवार के वकील पंकज भारद्वाज और सीबीआई की ओर से दाखिल जवाब की प्रति उन्हें नहीं मुहैया कराए जाने की बात कहे जाने के बाद स्थगित कर दी गई।

इस मामले में सीबीआई के वकील अनमोल रतन सिद्धू ने तीसरी प्राथमिकी को रद्द करने की राठौर की याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय माँगा। यह प्राथमिकी भादसं की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आशु की शिकायत पर दर्ज की गई है। ताजा मामलों की जाँच का काम सीबीआई को सौंपा गया है।

न्यायमूर्ति सबीना ने सीबीआई वकील को 25 जनवरी को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उसी दिन याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

आभा ने अदालत को बताया कि सीबीआई का एक 30 सदस्यीय दल मामले की जाँच कर रहा है लेकिन अभी तक राठौर के खिलाफ रिकॉर्ड पर कुछ भी सामने नहीं आया है। उन्होंने दलील दी कि उनके पास जो कुछ भी है, उन्हें अदालत के सामने रखना चाहिए।

राठौर की वकील पत्नी आभा ने कहा कि छह दिन अब बीत गए हैं, लेकिन सीबीआई प्राथमिकी से सिर्फ उद्धृत कर रही है। जो कुछ भी उनके पास हैं उसे उन्हें अदालत के समक्ष रखना चाहिए। हालाँकि सीबीआई अधिवक्ता सिद्धू ने अदालत से कहा कि जाँच एजेंसी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है और पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ जाँच जारी है।

उन्होंने कहा कि राठौर को इस समय अग्रिम जमानत देना न्याय के हित में नहीं होगा क्योंकि यह एजेंसी की ओर से निर्बाध और प्रभावी जाँच की राह में आएगा। मौजूदा प्राथमिकी में राठौर के खिलाफ गंभीर आरोपों पर का उल्लेख करते हुए सिद्धू ने कहा कि उन्हें रुचिका से छेड़खानी के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है।

याचिकाकर्ता जाँच से बचने के लिए भाग सकता है। उन्होंने कहा कि ताजा मामले में राठौर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने का हाल का आदेश ‘उचित और बेहतर तर्क’ पर आधारित है। राठौर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने माँग करते हुए सीबीआई ने राठौर की उन दलीलों को भी खारिज किया कि नई प्राथमिकियाँ मीडिया के दबाव में दर्ज की गई हैं।

प्राथमिकी में रुचिका के भाई आशु गिरहोत्रा द्वारा राठौर के खिलाफ लगाए गए आरोप पर सीबीआई ने अपने जवाब में कहा कि मामले के इस पहलू की भी वे विस्तार से जाँच करेंगे।

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