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दिल्ली की मतदाता सूची में भारी काट-छांट

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 23 अगस्त 2013 (16:15 IST)
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नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को माना कि राष्ट्रीय राजधानी में निर्वाचन आयोग ने 13.58 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं।

कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान राज्यसभा में बताया कि मतदाताओं की पहचान करने के लिए घरोंघर जाकर सर्वेक्षण किया गया।

सर्वेक्षण के दौरान पता लगाया गया कि क्या मतदाता अन्यत्र रहने चला गया है या उसकी मृत्यु हो गई है या फिर एक से अधिक मतदाता सूची में उसका नाम तो नहीं है।

सर्वे में पाया गया कि 13,38,970 मतदाता एक स्थान से दूसरे स्थान पर रहने चले गए यानी स्थानांतरित हो गए। कुल 1,36,045 मतदाताओं की मृत्यु हो गई और 36,205 मतदाताओं के नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में पाए गए।

उन्होंने साबिर अली के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि सर्वे के आधार पर 15,58,229 मतदाताओं को नाम हटाने के लिए सूचनाएं जारी की गईं और उन्हें निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखने का विकल्प दिया गया। कुल 1,99,989 मतदाताओं ने निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखा जिसके बाद उनके नाम नहीं हटाए गए।

सिब्बल ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने 13.58 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए। कानून मंत्री ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस प्रक्रिया को निर्वाचन आयोग अंजाम देता है। उन्होंने बताया कि हटाए जाने वाले नाम राजनीतिक दलों को भी दिए गए थे।

उनसे पूछा गया कि क्या सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग के साथ समन्वय करेगी कि पात्र मतदाताओं के नाम न हटाए जाएं। इस पर सिब्बल ने कहा कि पात्र मतदाताओं के नाम न हटाने के लिए निर्वाचन आयोग के साथ समन्वय करना उचित नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करना आयोगरूपी एक संवैधानिक प्राधिकरण के कामकाज में हस्तक्षेप होगा।

सिब्बल ने मतदान वाले दिन फोटो पहचान पत्रधारक किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं होने के सवाल पर कहा कि वे निर्वाचन आयोग को सदन की भावना से अवगत कराएंगे। (भाषा)

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