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लड़कियों की दोस्ती होती है सच्ची

स्पेशल होती है इनकी दोस्ती

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शैलेन्द्र सिंह
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ऐसा माना जाता है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों के बीच दोस्ती जरा कमजोर हुआ करती है। इसके पीछे बहुत सारे कारण गिनाए जाते हैं जैसे लड़कियों में ईर्ष्या ज्यादा होती है, उन्हें सिर्फ गॉसिपिंग में मजा आता है, सीक्रेट्स पचाने में कमजोर हुआ करती हैं, आदि-आदि... लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। लड़कियाँ भी आपस में अच्छी दोस्त हुआ करती हैं।

लड़के ये कहते जरा भी नहीं हिचकते कि लड़कियाँ आपस में बैठकर महज लड़-झगड़ सकती हैं। वे आपस में कभी भी अच्छी दोस्त नहीं होतीं जबकि ये कोरा मिथ है, जो लोगों के जहन में गहरे तक घर कर गया है। यदि ऐसा होता तो महिलाओं की दोस्ती की सूची में एक भी महिला शामिल न होती बल्कि उनकी सूची पुरुषों से भरी मिलती जबकि हकीकत यह है कि महिलाओं की छोटी-मोटी नोकझोंक भी उनके बीच दूरियाँ कम करने में सफल होती हैं। भविष्य में भी उनमें एक होने की संभावना बनी रहती है, जबकि पुरुष एक बार किसी को दुश्मन घोषित कर दें तो वह कभी भी एक-दूसरे को पलटकर देखना तक गवारा नहीं करते।

महिलाओं के लिए हर रिश्ता अलग होता है, अनोखा होता है। वे सिर्फ उन्हें सँजोए रखने की कोशिश करती हैं। हालाँकि हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि महिलाओं का स्वभाव बातूनी होता है। इसलिए उन्हें गॉसिप्स करना सबसे अच्छा लगता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वे एक-दूसरे का साथ निभाने से जरा भी पीछे नहीं हटतीं। असल में महिलाओं में आपसी दोस्ती के मायने अलग होते हैं। किसी के लिए उसका सर्वस्व समर्पण होता है तो किसी के लिए उनके दिल में गहरे तक जगह होती है।

अब विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि महिलाएँ आपस में बिलकुल भिन्ना होती हैं जिसका अंदाजा पुरुष लगा भी नहीं सकते। ऑफिशियल तौर पर अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि महिलाओं की दुनिया में दोस्ती, त्याग, समझौता पुरुषों की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है। महिलाएँ एक-दूसरे को सपोर्ट करने के लिए, मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। इसके अलावा जब वे साथ होती हैं, तब उनमें हैप्पी हारमोंस बहुतायत में विकसित हो रहे होते हैं, महिलाएँ साथ लंच करें या साथ बैठकर गॉसिप्स करें। इन सभी कारणों से उनमें प्रोजेस्टेरोन हारमोन्स, मूड बदलने में सहायक हारमोन होता है, का शरीर में विकास होता है। इससे वे सभी तरोताजा हो जाती हैं।

सो, पुरुषों के मुँह में ताला लगाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि वैज्ञानिकों ने भी उनकी नजदीकियों की पुष्टि की है। इस बात का भी खुलासा हुआ है कि महिलाएँ अपनी सारी बातें पुरुष दोस्त को नहीं बता पातीं इसलिए जब वे आपस में बात करती हैं, चाहे वे बेस्ट फ्रेंड हों या फिर नॉर्मल फ्रेंड्स सबको राहत महसूस होती है, तनावमुक्त रहती हैं और समस्याओं को आसानी से साझा कर लेती हैं। इसकी कई वजहें हैं।

शायद एक जैसी स्थिति से हर महिला गुजरती है, इसलिए वे एक-दूसरे को पुरुषों की तुलना में बेहतर जानती हैं। महिला स्थिति को भाँप लेती है, जबकि पुरुष को हर बात एक-एक कर बतानी पड़ती है। महिलाओं के लिए जहाँ दोस्ती भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ी होती है, वहीं वे एक-दूसरे से सिर्फ माँगती ही नहीं बल्कि देना भी जानती हैं। जबकि पुरुषों के लिए दोस्ती महज मौज-मस्ती तक ही सीमित होती है।

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आमतौर पर पुरुष मानते हैं कि महिलाओं को राजदार नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि उनके पेट में कोई बात नहीं पचती, लेकिन हकीकत यह है कि जरूरत पड़ने पर महिलाएँ एक-दूसरे के राज को हमेशा राज बनाए रख सकती हैं, जहाँ तक पुरुष कल्पना भी नहीं कर सकते।

कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि महिलाओं की दोस्ती किसी भी मायने में पुरुषों की दोस्ती से कम नहीं होती, बल्कि हम कह सकते हैं कि दोस्ती निभाने में महिलाएँ पुरुषों से एक कदम आगे ही होती हैं। सो, आइंदा महिलाओं की दोस्ती पर सवाल दागने से पहले एक बार सोचिएगा जरूर, क्योंकि ये एक-दूसरे के लिए हमेशा स्पेशल होती हैं।

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