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पिरामिड आकार में बना है हिमलिंग

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- सुरेश एस डुग्ग

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14500 फुट की ऊँचाई पर स्थित 60 फुट लंबी, 30 फुट चौ़ड़ी और 15 फुट गहरी अमरनाथ की गुफा में बना हिमलिंग एक बार फिर अपनी आकृति और आकार के कारण चर्चा और चिंता का विषय बना हुआ है। इस बार हिमलिंग पिरामिड आकार का है, साथ ही उसका आधार आकर्षक रूप से 3.5 फुट का है।

यह पहली बार नहीं है कि हिमलिंग की आकृति और आकार में परिवर्तन आया हो। पिछले दो-तीन सालों परिवर्तन हो रहे हैं। कुछ लोग इसका दर्शन कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं, वहीं कुछ इससे भयभीत भी हैं। कई लोगों का मानना है कि यह किसी 'प्रलय' के संकेत हैं।

दो फुट की जटाएँ : इस बार भगवान भोले शंकर का रूप जटाधारी है। पिरामिड आकार वाले इस हिमलिंग की ऊँचाई करीब आठ फुट की है, साथ ही दो फुट की जटाएँ भी हैं, जहाँ से यह माना जाता है कि गंगा निकली है। लेकिन इस बार यह सा़ढ़े तीन फुट का चौ़ड़ा आधार भी बना हैं। इस बेस पर विभिन्न चर्चाएँ और विचार हैं, जिसमें से एक यह भी है कि मौसम की आँख-मिचौली और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदलते मौसम के कारण यह आधार हिमलिंग के पिघलने के कारण बना है।

पहली बार आने वालों के लिए तो इतने ब़ड़े हिमलिंग के दर्शन ही तन-मन को शांति पहुँचाने वाले हैं, लेकिन हिमलिंग के लगातार आकार और रूप बदलने के कारण यह उनके लिए चिंता का विषय है, जो कई सालों से आ रहे हैं।

1994 से जारी : हिमलिंग के आकार और आकृति में अंतर 1994 से ही आना आरंभ हुआ था जो अभी तक जारी है। वर्ष 1994 में तो यह श्रावण पूर्णिमा तक बना ही नहीं था। हिमलिंग के आकार में आए फर्क से अमरनाथ यात्रियों में निराशा तो है ही, बेचैनी भी है। यात्रा में शामिल हुए साधु तो यह भी कहते हैं कि यह भगवान शिव के क्रोध से हो रहा है, जो विश्व में ब़ढ़ रही पापी प्रवृत्तियों से नाराज हैं। हिमलिंग के आकार में लगातार होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाले बदलाव के तर्क को अधिकतर लोग सही मान रहे हैं।

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