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भगवान की भक्ति में लगाए मन

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जिस मानव देह को लोग बिना भक्ति के ही खत्म कर देते हैं, उन्हें इस बात का एहसास नहीं कि भगवान ने करुणा करके उन्हें यह तन दिया है। उस शरीर को पाने के बाद उसका सही अर्थों में लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं। उसे अगर भक्ति के मार्ग पर लगाया जाए तो वह भगवान को भी वश में करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।

जो स्वर्ग चाहते हैं, उन्हें पता नहीं कि वहां केवल भोग किया जा सकता है। स्वर्ग में रहने वाले भगवान भक्ति और कर्म नहीं कर सकते हैं। यह पुण्य लाभ तो मानव शरीर पाने से ही संभव है।

मानव शरीर पाने के बाद ही कर्म करके मनुष्य को भगवान से प्रेम करने का अवसर मिलता है। इसलिए भगवान की भक्ति करनी चाहिए। 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव जीवन पाने के बाद भी जो लोग स्वर्ग पाने की इच्छा रखते हैं, वे मूर्ख हैं।

कर्म इस संसार में आने वाला हर जीव करता है, मगर भगवत्‌ आराधना और भक्ति केवल मानव तन से ही संभव है। उसके बाद भी कुछ लोग अपने कर्म और भक्ति के बाद स्वर्ग पाने की इच्छा मन में पालते हैं। उन्हें पता नहीं होता है कि जिसे वे स्वर्ग पाने का रास्ता समझते हैं, उस मानव तन को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं, क्योंकि मानव देह पाने के बाद ही भक्ति रस से मिलने वाले आनंद का अनुभव किया जा सकता है।

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