- 'निज़ाम' रामपुरी
क्यों करते हो एतबार मेरा
मालूम है तुमको प्यार मेरा
इक बात में फ़ैसला है तुमसे
रंज़ीदा है दिल हज़ार मेरा
तेरा नहीं एतबार मुझको
तू भी न कर एतबार मेरा
शायद कि न हो तुम अपने बस में
दिल पर तो है इख्तियार मेरा
कुछ समझे हुए है अपने दिल में
सुनते नहीं हाले-ज़ार मेरा
वह हाय बिगड़ के उसका जाना
रोना वही ज़ार-ज़ार मेरा
कल तो 'निज़ाम' यह न था हाल
दिल आज है बेक़रार मेरा