फाल्गुनी
तुम्हें क्षमादान देने के उपरांत भी
तुम्हें भूल नहीं सकी हूँ... शायद,
तुम्हें भूलने के लिए
मुझे प्रतिशोध लेना ही होगा।
तुम्हारी बेशुमार
यादों के बीच
खोजती हूँ
वे क्षण
जब तुमने 'सिर्फ' मेरे बारे में
बातें की हो,
किंतु अफसोस कि
तुम्हारी सारी यादों में से
एक भी पल ऐसा नहीं मिला
फिर भी
मैं क्यों याद करती हूँ
तुम्हें और तुम्हारी यादों को
अब तक नहीं समझ सकी हूँ