मौन प्रेम है
एक अनोखी अनुभूति
पर्वत सा शांत
स्वर्ग सा एकांत
जैसे दूर कहीं जमीं पर मिलता आसमान
फूलों सा मुस्कुराता
भौरों सा गुनगुनाता
जैसे कोई अबोध बालक हो घबराता
नदी सा चंचल,
जैसे चुपके से मुझे कोई बुलाता है
मेरे भी मन में
तुम्हारे प्रति
सबसे छुपा-सा
जैसे अटूट बंधन-सा
एक अनोखी अनुभूति सा
मौन प्रेम है ।
संकलित