Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राम हैं भारत की आत्मा

तू अंतरयामी सबका स्वामी...

हमें फॉलो करें राम हैं भारत की आत्मा
- प्रस्तुति अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

'राम' यह शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं महत्वपूर्ण है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है

ND
राम ने 14 वर्ष वन में रहकर भारतभर में भ्रमण कर भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण रहा की राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी तरह की अनार्य जातियों ने राम का साथ दिया। यह वह काल था जबकि लोगों में किसी भी प्रकार की जातिवादी सोच नहीं थी। लोग सिर्फ दो तरह की सोच में ही बँटे थे- यक्ष और रक्ष जिसे सूर और असुर या देव और दानव कहा जाता था।

जन्म: राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं। शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म आज से 7122 वर्ष पूर्व अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था। अन्य विशेषज्ञों अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 9,000 वर्ष (7323 ईसा पूर्व) हुआ था। चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

राम का परिचय : अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र थे भगवान राम। दशरथ की तीन पत्नीयाँ थी- कौशल्या, सुमीत्रा और कैकयी। राम के तीन भाई थे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न। राम कौशल्या के पुत्र थे। सुमीत्रा के लक्ष्मण और शत्रुध्न दो पुत्र थे। कैकयी के पुत्र का नाम भरत था।

लक्ष्मण की पत्नी का नाम उर्मिला, शत्रुध्न की पत्नी का नाम श्रुतकीर्ति और भरत की पत्नी का नाम मांडवी था। सीता और उर्मिला राजा जनक की पुत्रियाँ थी और मांडवी और श्रुत‍कीर्ति कुशध्वज की पुत्रियाँ थी। लक्ष्मण के अंगद तथा चंद्रकेतु नामक दो पुत्र थे।

राम का विवाह मिथिला के नरेश राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ। सीता स्वयंवर में रावण भी आया था। विवाह बाद कैकयी के कहने पर राम को दशरथ ने 14 वर्ष के वनवास में भेज दिया। वनवास में सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ गए। इधर कैकयी ने भारत को अयोध्या का राजा बना दिया।

वनवास के दौरान लक्ष्मण ने रावण की बहिन सूर्पणखा की नाक काट दी थी। सीता स्वयंवर में अपनी हार और सूरपर्णखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया। वनवास के दौरान ही राम को सीता से दो पुत्र प्राप्त हुए- लव और कुश। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए ‍जो महाभारत युद्ध में कोरवों की ओर से लड़े थे।

राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए संपाति, हनुमान, सुग्रीव, विभिषण, मैन्द, द्विविद, जाम्बवंत, नल, नील, तार, अंगद, धूम्र, सुषेण, केसरी, गज, पनस, विनत, रम्भ, शरभ, महाबली कम्पन (गवाक्ष), दधिमुख, गवय और गन्धमादन आदि की सहायता से सेतु बनाया और लंका पर चढ़ाई कर दी। लंका में घोर युद्ध हुआ और पराक्रमी रावण का वध हो गया। तब पुष्पक विमान द्वारा रावण सीता सहित पुन: अयोध्या आ गए।

इस सारे घटनाक्रम में हनुमानजी ने राम का बहुत साथ दिया इसीलिए हनुमानजी राम के अनन्य सहायक और भक्त सिद्ध हुए। भगवान राम को हनुमान ऋष्यमूक पर्वत के पास मिले थे।

महत्वपूर्ण घटनाक्रम: गुरु वशिष्ठ से शिक्षा-दिक्षा लेना, विश्वामित्र के साथ वन में ऋषियों के यज्ञ की रक्षा करना और राक्षसों का वध, राम स्वयंवर, शिव का धनुष तोड़ना, वनवास, केवट से मिलन, लक्ष्मण द्वारा सूर्पणखा (वज्रमणि) की नाक काटना, खर और दूषण का वध, लक्ष्मण द्वारा लक्ष्मण रेखा खींचना, स्वर्ण हिरण-मारीच का वध, सीता हरण, जटायु से मिलन।

कबन्ध का वध, शबरी से मिलन, हनुमानजी से मिलन, सुग्रीव से मिलन, दुन्दुभि और बाली का वध, संपाति द्वारा सीता का पता बताना, अशोक वाटिका में हनुमान द्वारा सीता को राम की अँगुठी देना, हनुमान द्वारा लंका दहन, सेतु का निर्माण, लंका में रावण से युद्ध, लक्ष्मण का मुर्छित होना, हनुमान द्वारा संजीवनी लाना और रावण का वध, पुष्पक विमान से अयोध्या आगमन।

रामायण : रामायण को वा‍ल्मीकि ने राम के काल में ही लिखा था। इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रमाणिक ग्रंथ माना जाता है। रामायण और महाभारत यही ग्रंथ मूलत: हिंदू इतिहास की प्रमाणिक जानकारी देते हैं। यह मूल संस्कृत में लिखा गया ग्रंथ है।

रामचरित मानस : रामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा जिनका जन्म संवत्‌ 1554 को हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना अवधि भाषा में की। रामायण से अधिक इस ग्रंथ की लोकप्रियता है।

अन्य भारतीय रामायण : तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण आदि भारतीय भाषाओं में प्राचीनकाल में ही रामायण लिखी गई।

विदेशी रामायण : कंपूचिया की रामकेर्ति या रिआमकेर रामायण, लाओस फ्रलक-फ्रलाम (रामजातक), मलयेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण आदि प्रचलीत है। इसके अलावा भी अन्य कई देशों में वहाँ की भाषा में रामायण लिखी गई है।

इन्हें भी पढ़ें-
भगवान राम की वंश परंपरा
रामायण के रचियता वाल्मीकि
रामचरित मानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास
शिव की लंका के लंकेश
राम पर हुए शोध
रावण की लंका पर शोध
रावण की पूजा का प्रचलन
भज मन राम का नाम
बलशालियों में श्रेष्ठ बजरंगबली

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi