भोजन मानव को निरोगी भी रखता है और रोगी भी रखता है इसीलिए हिन्दू धर्म में योग और आयुर्वेद के नियमों पर चलने के धार्मिक नियम बनाए गए हैं। सेहत से जुड़े सभी तत्वों को हमारे ऋषियों ने धर्म के नियमों से जोड़ दिया है। उन्होंने जहां उपवास के महत्व को बताया वहीं उन्होंने यह भी बताया कि किस माह में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, किस वार को क्या न खाएं और किस नक्षत्र में क्या खाना सबसे उत्तम माना गया है।भोजन करते वक्त इन बातों का ध्यान रखना जरूरी...जीवन में नियम और अनुशासन नहीं है तो जीवन घोर संकट से घिर सकता है। नियम के बगैर धर्म अधूरा होता है। आओ, जानते हैं कि क्या खाने से हम स्वस्थ बने रह सकते हैं और कौन-सा परहेज करने से हम बीमारी से बचे रह सकते हैं।
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माह अनुसार भोजन चयन:
* चैत्र माह में गुड़ खाना मना है।
* बैखाख माह में नया तेल लगाना मना है।
* जेठ माह में दोपहर में चलना मना है।
* आषाढ़ माह में पका बेल न खाना मना है।
* सावन माह में साग खाना मना है।
* भादौ माह में दही खाना मना है।
* क्वार माह में करेला खाना मना है।
* कार्तिक माह में बैंगन और जीरा खाना मना है।
* माघ माह में मूली और धनिया खाना मना है।
* फागुन माह में चना खाना मना है।
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1.
एकादशी, द्वादशी और तेरस के दिन बैंगन खाना मना है। इससे संतान को कष्ट होता है।इस पर संपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें तिथि अनुसार करें भोजन2.
अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी, रविवार, श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
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*पूर्व दिशा- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन पूर्व दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : सोमवार को दर्पण देखकर या पुष्प खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम उल्टे पैर चलें।
*पश्चिम दिशा- रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन पश्चिम दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : रविवार को दलिया, घी या पान खाकर और शुक्रवार को जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
* उत्तर दिशा- मंगलवर और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन उत्तर दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : मंगलवार को गुड़ खाकर और बुधवार को तिल, धनिया खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
*दक्षिण दिशा- गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन दक्षिण दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : गुरुवार को दहीं या जीरा खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
*दक्षिण-पूर्व दिशा- सोमवार और गुरुवार को दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : सोमवर को दर्पण देखकर, गुरुवार को दहीं या जीरा खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
*नैऋत्य दिशा- रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : रविवार को दलिया और घी खाकर और शुक्रवार को जौ खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
*वायव्य दिशा- मंगलवार को उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है।
*बचाव : मंगलवार को गुड़ खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
*ईशान दिशा- बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशाशूल रहता है।
*बचाव : बुधवार को तिल या धनिया खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द की दाल या तिल खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।
अगले पन्ने पर और क्या न खाएं जानिए...
क्या न खाएं:
* कभी भी गर्म दही नहीं खाते हैं।
* कांसे के बर्तन में दस दिन तक रखा हुआ घी नहीं खाना चाहिए।
* रात्रि में फल, दही, सत्तू, मूली और बैंगन नहीं खाना चाहिए।
* अचार और सिरके से बनी चीजें अधिक न खाएं।
* खट्टे, चटपटे, चाट-पकौड़े, गोल-गप्पे, दही-भल्ले, समोसे, कचौरी-छोले-भटूरे न खाएं।
* ऊष्ण खाद्य-पदार्थों, ऊष्ण मिर्च-मसाले और अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी का बिलकुल ही परित्याग कर दें।
* जंक फूड और फास्ट फूड के अलावा सॉफ्ट कोल्ड ड्रिंक का भी त्याग कर दें।
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अनुचित मेल :
* दाल के साथ चावल या दाल के साथ रोटी नहीं खाना चाहिए। खाएं तो भरपूर मात्रा में सब्जी भी खाएं।
* दूध या दही के साथ रोटी नहीं खाना चाहिए।
* दूध के साथ दही नहीं खा सकते या दही खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए।
* दूध और दही के साथ केला नहीं खाना चाहिए।
* दूध या दही के साथ मूली भी नहीं खाना चाहिए।
* शहद के साथ गर्म जल व या कोई गर्म पदार्थ नहीं लेना चाहिए।
* शहद के साथ मूली नहीं खाना चाहिए।
* खिचड़ी के साथ खीर नहीं खाना चाहिए।
* दूध के साथ खरबूजा, खीरा और ककड़ी नहीं खाना चाहिए।
* दही के साथ पनीर या पनीर के साथ दही नहीं खाना चाहिए।
* फलों के साथ सब्जियां या सब्जियों के बाद फल नहीं खाना चाहिए।
* दाल के साथ शकरकन्द, आलू, कचालू।
अगले पन्ने पर ग्रह अनुसार करें भोजन का चयन...
ग्रह की प्रकृति :
1. सूर्य, मंगल और केतु गर्म स्वभाव के होते हैं तो इनका क्षेत्र है पित्त।
2. बृहस्पति, चन्द्रमा और शुक्र सुस्त ग्रह हैं तो इनका क्षेत्र है कफ।
3. शनि, बुध और राहु हवा स्वभाव के ग्रह हैं तो इनका क्षेत्र है वात।
* ग्रहों के अनुसार अब राशियों को जाना जा सकता है...
1. मेष, सिंह, वृश्चिक राशि वाले उग्र प्रकृति अर्थात गर्म स्वभाव के होते हैं तो उनमें पित्त प्रधान होता है।
2. वृषभ, कर्क, तुला, धनु, मीन राशि वालों का स्वभाव सुस्त होता है तो उनमें कफ प्रधान होता है।
3. मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ राशि की प्रकृति हवादार होती है, तो उनमें वात तत्व प्रधान होता है।
* जब पित्त, वात और कफ का संतुलन बिगड़ता है तो शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं। व्यक्ति को अपनी प्रकृति समझ कर ही भोजन का चयन करना चाहिए। कुंडली की जांच करके खुद की प्रकृति अनुसार भोजन का चयन करेंगे तो बीमारियों से बचे रहेंगे।
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उचित मेल को जानिए :
* मौसमी फल खाना चाहिए।
* रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिए।
* आम और गाय का दूध मिलाकर पी सकते हैं।
* बथुआ और दही का रायता खा सकते हैं।
* दूध के सात खजूर खा सकते हैं।
* दही के सात आंवला चूर्ण ले सकते है।
* चावल के साथ नारियल की गिरी खा सकते हैं।
* दाल के साथ दही खा सकते हैं।
* अमरूद के साथ सौंफ खा सकते हैं।
* रोटी के साथ हरे पत्ते वाली सब्जी खा सकते हैं।
* अंकुरित दालों के साथ कच्चा नारियल खा सकते हैं।
* गाजर के सात मेथी का साग ले सकते हैं।
* श्वेतसार के साथ साग-सब्जी खाना उचित है।
* मेवे के साथ खट्टे फल ले सकते हैं।
* दाल और सब्जी साथ में खा सकते हैं।
* सब्जी व चावल की खिचड़ी ले सकते हैं।
अंतिम पन्ने पर, कुछ खास नियम जानिए...
* स्नान से पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें।
* भोजन के बाद कुछ देर बाईं करवट लेना चाहिए।
* रात को जल्दी सोना और सुबह को जल्दी उठना चाहिए।
* सूर्योदय के पूर्व गाय का ताजा दूध पीना चाहिए।
* व्यायाम के बाद दूध अवश्य पीएं।
* मल, मूत्र, छींक का वेग नहीं रोकना चाहिए।
* नेत्रों में सूरमा या काजल अवश्य लगाएं।
* स्नान रोजाना अवश्य करें।
* सूर्य की ओर मुंह करके पेशाब न करें।
* बरगद, पीपल, देव मंदिर, नदी, श्मशान में पेशाब न करें।
* गंदे कपड़े न पहनें, इससे हानि होती है।
* भोजन के समय क्रोध न करें। मौन रहें।
* भोजन ठूंस-ठूंसकर अधिक मात्रा में न करें।
* थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार भोजन करें।