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बाजार में बनी रहेगी उठापटक

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 15 जून 2008 (19:10 IST)
पिछले चार सप्ताह से बिकवाली की मार झेल रहे देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह भी उठापटक बने रहने की अधिक संभावना है।

तेरह जून को समाप्त हुए सप्ताह में भारी बिकवाली के दबाव में बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी प्रत्येक करीब ढाई प्रतिशत गिरकर इस वर्ष के न्यूनतम स्तर तक गिर गए।

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उठापटक का दौर बने रहने की संभावना है। विश्लेषक मानते हैं कि उठापटक सीमित दायरे में रह सकती है।

दिल्ली शेयर बाजर के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख अशोककुमार अग्रवाल की राय में देश-विदेश में जो फिलहाल हालात हैं, वे शेयर बाजारों में मजबूती के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका मंदी के दबाव में है। वहाँ महँगाई का असर चौतरफा है।

अग्रवाल का कहना है कि ब्याज दरों में वृद्धि को लेकर अंदेशा बरकरार है। रिजर्व बैंक के रेपो दरों में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी से बैंकों के ब्याज दरों में बढ़ोतरी देर सबेर होना लगभग निश्चित है।

इस दिशा में जम्मू-कश्मीर बैंक ने अपनी प्रधान ब्याज दर को एक प्रतिशत बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया है। देश के अग्रणी वाणिज्यिक बैंक स्टेट बैंक का कहना है कि वह अभी कुछ इंतजार करेगा।

अग्रवाल के मुताबिक ब्याज दरों में बढ़ोतरी से रियलिटी और बैंकिंग क्षेत्र प्रभावित होंगे। प्रापर्टी में माँग वैसे ही सुस्त है और अगर आवास ऋण में बढ़ोतरी हुई तो इससे असर और गहरा सकता है।

ब्याज दर बढ़ने से ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर भी असर पड़ेगा। सरकार ने ईंधन की खपत कम करने के उद्देश्य से 1500 सीसी अधिक क्षमता वाली कारों पर 15 से 20 हजार रुपए का अतिरिक्त शुल्क भी लगाया है। यह भी उद्योग के लिए नकारात्मक है।

तेरह जून को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी बाजारों में गिरावट महँगाई के सात वर्ष के शिखर 8.75 पर पहुँचने, रिजर्व बैंक के रेपो दर बढ़ाने और विदेशी संस्थानों की बिकवाली के दबाव में सेंसेक्स 382.56 अंक अर्थात 2.46 प्रतिशत के नुकसान से 15189.62 अंक रह गया।

पिछले चार सपताह के दौरान सेंसेक्स में 2045.32 अंक अर्थात 11.73 प्रतिशत की गिरावट आई। इस वर्ष दस जनवरी के 21206.77 अंक के रिकॉर्ड की तुलना में सेंसेक्स 28.37 अंक अर्थात 6017.15 अंक लुढ़क चुका है। सप्ताह के दौरान सेंसेक्स 41 सप्ताह के न्यूनतम स्तर 14645.31 अंक तक लुढ़का। एनएसई का निफ्टी 110.70 अंक अर्थात 2.39 प्रतिशत गिरकर 4517.10 अंक पर बंद हुआ।

विदेशी संस्थान जून माह के दौरान 5300 करोड़ रुपए की बिक्री कर चुके हैं। इस वर्ष इनकी बिकवाली 20 हजार 600 करोड़ रुपए पर पहुँच चुकी है।

सप्ताह के दौरान अप्रैल माह के औद्योगिक उत्पादन में मार्च के तीन प्रतिशत की तुलना में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी से शेयर बाजारों को कुछ आस बंधी थी, लेकिन महँगाई सभी पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है।

बीएसई के मिडकैप और स्माल कैप में क्रमशः 121.98 अथवा 1.92 प्रतिशत और 114.33 अंक अर्थात 1.48 प्रतिशत का नुकसान हुआ। इनके सूचकांक क्रमशः 6228.17 अंक तथा 7581.72 अंक पर बंद हुए।

देश की अग्रणी औषधि कंपनी रैनबैक्सी लैबोरेटरीज के चीन की 'दायची सान्यो' के साथ सौदे की खबर से इसका शेयर 11.86 प्रतिशत की जोरदार बढ़त से 566.90 रुपए पर बंद हुआ। कंपनी में 34.8 प्रतिशत इक्विटी के लिए 737 रुपए प्रति शेयर का सौदा हुआ है।

सेंसेक्स से जुड़े नुकसान वाले शेयरों में 'रिलायंस कम्युनिकेशंस', आईटी वर्ग की तीसरी बड़ी कंपनी 'विप्रो', कैपिटल गुड्स की अग्रणी 'एल एंड टी', निजी क्षेत्र का अग्रणी बैंक आईसीआईसीआई बैंक, रियलिटी कंपनी 'डीएलएफ', टाटा मोटर्स और ग्रासिम इंडस्ट्रीज प्रमुख रहे।

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