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भारतीय शेयर बाजार नई तेजी की ओर

हमें फॉलो करें भारतीय शेयर बाजार नई तेजी की ओर
- कमल शर्म
अंतरराष्‍ट्रीय इक्विटी विश्‍लेषक फर्म इलियटवेव ने जब यह कहा कि भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्‍स अगले 15 साल में एक लाख अंक पर पहुँच जाएगा तो अनेक निवेशकों और विश्‍लेषकों ने इसे हँसने के अंदाज में लिया कि आज क्‍या होगा, यह बताओ, 15 साल किसने देखे, लेकिन एशियाई बाजारों में आने वाले दिन भारतीय शेयर बाजार के होंगे। हो सकता है घरेलू शेयर बाजार चीन जैसे बाजार को भी पीछे छोड़ दें।

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भारतीय शेयर बाजार के बेहद मजबूत बनने के अनेक कारक अब पैदा होते जा रहे हैं जिसमें अति धैर्यवान निवेशक भारी भरकम मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे। लेकिन इस खजाने को हासिल करने के‍ लिए आज किए गए निवेश पर धैर्य रखना होगा।

यहाँ धैर्य रखने की समय सीमा पर एक बात साफ कर दूँ कि धैर्य का मतलब यह कदापि नहीं है कि आज शेयर खरीदें और अगले 15 साल तक उन्‍हें न देखें। अपने निवेश पर बीच-बीच में मुनाफावसूली करते रहें और हर गिरावट पर फिर से खरीद जरूर करते रहें। यह न तो इंट्रा डे ट्रेडिंग है और न ही चुपचाप बैठने वाली सलाह।

  तमिल चीतों की वजह से न तो श्रीलंका में शांति थी और न ही भारत चैन से रह पा रहा था। जब यह समस्‍या बर्दाश्त की सीमा को पार कर गई तो श्रीलंका सरकार ने वह कदम उठाया जो सभी प्रयास के बाद उठाया जाता है       
भारतीय उपमहाद्वीप में हमारे शेयर बाजार के लिए जो सकारात्‍मक कारक पैदा हो रहे हैं वे भौगोलिक हैं। श्रीलंका में पिछले कई सालों से तमिल चीतों ने जो उत्‍पात मचा रखा था उसका एक स्‍तर पर अंत होने जा रहा है। तमिल चीतों की वजह से न तो श्रीलंका में शांति थी और न ही भारत चैन से रह पा रहा था। जब यह समस्‍या बर्दाश्त की सीमा को पार कर गई तो श्रीलंका सरकार ने वह कदम उठाया जो सभी प्रयास के बाद उठाया जाता है।

  यह श्रीलंका का मामला है और जब हम अपने यहाँ किसी दूसरे देश का हस्‍तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकते तो हमें वहाँ हस्‍तक्षेप करना भी नहीं चाहिए। जिन चीतों ने भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्‍या की, उनके बचाव के लिए सरकार को हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए      
तमिल चीतों का सफाया होने के बाद भी कुछ वर्ष श्रीलंका के लिए कठिन होंगे लेकिन यदि वहाँ की सरकार ने कड़ाई से काम लिया तो वह एक जमाने की तरह फिर बेहतर प्रगति की ओर बढ़ता दिख सकता है। हमारे कुछ राजनीतिक दल वहाँ भारत सरकार का हस्‍तक्षेप चाहते हैं लेकिन यह श्रीलंका का मामला है और जब हम अपने यहाँ किसी दूसरे देश का हस्‍तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकते तो हमें वहाँ हस्‍तक्षेप करना भी नहीं चाहिए। जिन चीतों ने भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्‍या की, उनके बचाव के लिए सरकार को हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस सफाए से आने वाले वर्षों में हमें अपनी दक्षिण सीमाओं पर शांति मिल सकती है।

अब बात करते हैं पाकिस्‍तान की। पाकिस्‍तान में इन दिनों तालिबान धीरे-धीरे इस्‍लामाबाद की ओर बढ़ रहा है। एक समय अमेरिकी राष्‍ट्रपति ओबामा प्रशासन ने भी तालिबानियों से बात करने की इच्‍छा जता दी थी ताकि लंबे समय से चली आ रही इस समस्‍या का अंत हो सके लेकिन लगता है ओबामा प्रशासन ने कई कारणों से अपनी नीति को थोड़ा बदला है।

  अमेरिका पाकिस्‍तान में तालिबान को चारों तरफ से घेरकर मारना चाहता है। विश्‍व समुदाय इस तरह के आतंक से तंग आ चुका है। हालाँकि, यह काम आसान नहीं है लेकिन इस पर काम चल रहा है। पाकिस्‍तान में तालिबान की कब्र खोदने में कुछ वर्ष लग सकते हैं      
स्‍वात घाटी के बाद बुनेर जिले में आगे बढ़े तालिबानियों के इस्‍लामाबाद पहुँचने पर अमेरिका जरूर कार्रवाई करेगा। इस समय केवल पाकिस्‍तानी फौज छोटे-मोटे मोर्चे के मूड में है लेकिन खुलकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अमेरिका पाकिस्‍तान में तालिबान को चारों तरफ से घेरकर मारना चाहता है। विश्‍व समुदाय इस तरह के आतंक से तंग आ चुका है। हालाँकि, यह काम आसान नहीं है लेकिन इस पर काम चल रहा है। पाकिस्‍तान में तालिबान की कब्र खोदने में कुछ वर्ष लग सकते हैं लेकिन इसके बाद परमाणु भट्टियों से रहित पाकिस्‍तान के नव निर्माण में भारत की बड़ी भूमिका होगी क्‍योंकि उसकी जमीन एक समय भारत का ही हिस्‍सा थी।

अब बात हमारे देश की। देश इस समय लोकसभा चुनाव से गुजर रहा है। यह तो सभी को पता है कि अगली सरकार भी गठबंधन सरकार होगी लेकिन नतीजों से पहले जिस तरह हर छोटे दलों के नेता अपने स्‍वार्थों के लिए जोड़-तोड़ करने, मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक की जुगत कर रहे हैं वह तमाशा आम जनता अच्‍छी तरह देख रही है। अगली सरकार चाहे कांग्रेस की अगुवाई में बने या भाजपा की में, लेकिन यदि स्‍थायी मामला न बना तो देश में मध्‍यावधि चुनाव होंगे जिसमें जनता कांग्रेस या भाजपा में से किसी एक को साफ बहुमत देकर सत्ता की चाबी सौंप सकती है।

देश में अब युवाओं की संख्‍या सर्वाधिक है और यह वर्ग वाकई काम चाहता है और सारा हिसाब-किताब साफ-साफ। ऐसे में यदि राजनीतिक हितों की लड़ाई में मध्‍यावधि चुनाव हुए तो मंत्री बनने के लिए तड़पने वाले नेताओं का करियर खत्‍म हो सकता है। यह ऐसा मोड़ होगा जहाँ भारत में एक बार फिर बेहतर और मजबूत सरकार आने का मौका होगा। ये तीन ऐसे कारक हैं जो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था और बाजार के लिए मील का पत्‍थर साबित होंगे।

27 अप्रैल से शुरू हो रहे नए सप्‍ताह में शेयर बाजार केवल तीन दिन ही कारोबार करेगा। 30 अप्रैल गुरुवार को लोकसभा चुनाव के लिए मुंबई में मतदान होने की वजह से शेयर बाजार बंद रहेगा। 1 मई को महाराष्‍ट्र दिवस पर शेयर बाजार बंद रहेगा। गुरुवार को बाजार बंद होने की वजह से एफ एंड ओ अप्रैल सिरीज का निपटान बुधवार को होगा।

चालू सप्‍ताह में बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्‍स 11569 के ऊपर बंद होने पर 11877 अंक तक पहुँच सकता है। इसे 10922 पर सपोर्ट मिलेगा। जबकि, नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 3555 के ऊपर बंद होने पर 3644 अंक तक पहुँच सकता है। इसे 3355 पर सपोर्ट मिलेगा।

तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार में इस समय तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है। दोनों बाजार पर छाने की कोशिश में लगे हुए हैं। सेंसेक्‍स के 11400 के ऊपर रहने पर अगले गंभीर रेसीसटेंस 12500-13000 हैं। साप्‍ताहिक सपोर्ट 11000 और 10700 पर है जबकि साप्‍ताहिक रेसीसटेंस 11400 पर देखने को मिलेगा। शार्ट टर्म और पोजीशनल निवेशक 10700 को बेंचमार्क के रूप में इस्‍तेमाल करें एवं इसे सामने रखते हुए निकट भविष्‍य के लिए लांग पोजीशन बनाए रख सकते हैं।

कल्‍पतरु मल्‍टीप्‍लायर लि. भोपाल के वायस चेयरमैन आदित्‍य एम. जैन का कहना है कि 27 अप्रैल से शुरू होने वाले सप्‍ताह में बीएसई सेंसेक्‍स के रेसीसटेंस स्‍तर 11368-11407-11488-11542-11600-11662-11723-11778-11824-11893-12009-12073-12128-12170-12236-12303 हैं, जबकि, सपोर्ट स्‍तर 11280-11192-11031-10958-10902-10834-10761-10703-10651.10589-10532-10438-10362-10303-10216 है। नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज के निफ्टी के रेसीसटेंस स्‍तर 3502-3523-3554-3588-3601-3626-3668-3690-3716-3747-3776-3799-3834-3858 है, जबकि, सपोर्ट स्‍तर 3464-3443-3414-3393-3369-3345-3322-3294-3267-3246-3218-3200-3178-3151-3117-3100 है।

इस सप्‍ताह निवेशक काकतिया सीमेंट शुगर्स, फेडरल बैंक, दीवान हाउसिंग, एचडीआईएल, श्री सीमेंट, अबान ऑफशोर, प्रोक्‍टर एंड गेम्‍बल, पेपर प्रॉडक्‍ट्स, बीजीआर एनर्जी सिस्‍टम्‍स, बैंक ऑफ बड़ौदा, ग्‍वालियर केमिकल इंडस्‍ट्रीज, रिलायंस इन्फ्रा, रेडिंग्‍टन, जेएसडब्‍लू स्‍टील, जिंदल शॉ, जिंदल ड्रिलिंग, एक्सिस बैंक और जेएसडब्‍ल्यू होल्डिंग्‍स पर ध्‍यान दे सकते हैं।

*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।

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