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भारतीय शेयर बाजार पर वैश्विक बाजारों का प्रभाव

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शराफत खान

वैश्विक शेयर बाजार मंदी-तेजी से एक-दूसरे पर असर तो डालते ही हैं, लेकिन पिछलकुसमसे देखा जा रहा है कि भारतीय शेयर बाजार लगातार वैश्विक बाजारों के प्रभाव में ही काम कर रहे हैं। अब शेयर बाजार कारोबारियों के अलावा आम निवेशक भी अमेरिका, ब्रिटेन के बाजारों पर नजर रख रहा है, जिससे वह भारतीय बाजार में अपने निवेश की योजना बना सके।

क्या वास्तव में भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों के मुताबिक चल रहे हैं या फिर आर्थिक मंदी के दौर में भी उनकी अलग एक पहचान है। इस मुद्दे पर अरिहंत कैपिटल के मुख्य तकनीकी विश्लेषक राजेश पालविया का कहना है कि यह आवश्यक नहीं है कि भारतीय बाजार वैश्विक बाजार की राह पर चल रहे हैं। उनकी एक अलग पहचान है, बल्कि वैश्विक बाजार भारतीय बाजारों के मुताबिक चल रहे हैं।

फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है, ऐसे में किसी भी बाजार पर निवेशक विश्वास नहीं कर रहा है। सवाल यह नहीं है कि कौन-सा बाजार किसके मुताबिक चल रहा है, बल्कि मुद्दा यह है कि निवेशकों का विश्वास फिर से हासिल करने में सभी बाजार फिलहाल असफल हैं। घरेलू और वैश्विक बाजार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, लेकिन भारतीय बाजारों के संदर्भ में बात करें तो उसका अनुपात 60:40 है।

पालविया कहते हैं कि वैश्विक बाजारों में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत मानी जा रही है। यहाँ अभी तक आधिकारिक रूप से मंदी नहीं आई है, इसीलिए यहाँ के बाजार अब भी अच्छे स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। भारतीय बैंकों के पास पर्याप्त फंड है और अब तक एक भी भारतीय कंपनी मंदी का शिकार होकर बंद नहीं हुई है या अमेरिका और यूरोप की तरह यहाँ किसी कंपनी को दिवालिया घोषित नहीं किया गया है, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन जैसी विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अपने-अपने बैंकों को डूबने से बचा नहीं पाई हैं।

ये सभी कारक वैश्विक स्तर पर भारतीय बाजार को मजबूती देते हैं और इसीलिए यह कहना गलत होगा कि भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों के प्रभाव में हैं। कुछ समय बाद (संभवत: आम चुनाव के बाद) भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों से अलग अपनी पहचान बनाएँगे।

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