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कौए पर गढ़ी दिलचस्प कहावतें

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कोयल, काले कौए की जोरू! नहीं भई कोयल और कौए में पति-पत्नी का रिश्ता नहीं। यह तो मात्र कहावत है जो दो समान रूप से बुरी, असुंदर वस्तु या व्यक्ति के लिए कही जाती है।

ND
बेचारा कौआ इतना बदनाम हुआ कि इसे लेकर नकारात्मक कहावतें ही ज्यादा गढ़ी गईं। कौए को लेकर कुछ दिलचस्प कहावतें हैं-

* बनारस में भी कौए काले
* कौआ बैठा और डगाल टूटी
* कौआ कान ले गया
* कौआ चला हंस की चाल, अपनी चाल भी भूल गया
* कौआ कोयल को काली कहे
* कौआ से कबेला चतुर
* कौए के गले पुरी
* कौए से गोरा
* कौओं के रोने से ढोल नहीं फूटते

ये तो हुई कहावतों की बात। कौए को लेकर कई फिल्मी गीत भी बने हैं। हमारे ऋषि दा ने तो कौए को फिल्म का हीरो ही बना डाला। यह तो हमें नहीं पता कि झूठ बोलने वालों को कौआ काटता है या नहीं, पर ऋषिकेश मुखर्जी ने तो यही संदेश दिया अपनी फिल्म के जरिए।

'मेरी अटरिया पर कागा बोले', 'झूठ बोले कौआ काटे, काले कौए से डरियो' आदि। इतना ही नहीं कौआ भी अब नाकारा नहीं। कबूतर की तरह वह भी संदेश वाहक बन गया है ('उड़ जा काले कावा' गदर)।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि युद्धिष्ठिर के साथ कुत्ते (श्वान) को स्वर्ग में प्रवेश का सौभाग्य मिला तो कौआ भी कम भाग्यशाली नहीं। रसखान ने अपने दोहों में इस बात का वर्णन किया है- 'काग के भाग बड़े रे सजनी, हरि हाथ सो ले गयो माखन-रोटी।'

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