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आखिर कैसे हुआ तलाक का रास्ता साफ?

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हैदराबाद , बुधवार, 7 अप्रैल 2010 (17:51 IST)
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पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक आयशा सिद्दीकी के साथ अपनी शादी मानने को तैयार नहीं थे और वह यहाँ तक कह चुके थे कि उन्होंने इस लड़की को देखा तक नहीं है तो फिर कैसे उन्होंने आयशा के साथ अपनी शादी स्वीकार कर ली और उन्हें लिखित तलाक देने के लिए राजी हो गए?

दरअसल दोनों पक्षों के बीच एक सौहार्दपूर्ण हल निकालने और तलाक के लिए दोनों को राजी करने के पीछे दोनों पक्षों के बड़े बुजुर्गों का हाथ रहा, जिन्होंने लंबे विचार-विमर्श और कड़ी जद्दोजहद के बाद दोनों परिवारों को बदनामी से बचा लिया।

सिद्दीकी परिवार के मित्र और उनके समुदाय के बड़े बुजुर्ग मेजर कादरी ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा पिछले चार से पाँच दिनों तक दोनों परिवार के बड़े बुजुर्ग लगातार बातचीत में लगे रहे थे और एक सम्मानजनक रास्ता निकालते हुए तलाक के लिए सहमति हो गई।

इस सहमति के तहत सिद्दीकी परिवार शोएब के खिलाफ बंजारा हिल्स पुलिस स्टेशन में दायर अपने सभी मामले वापस लेने के लिए सहमत हो गया है। मलिक और सिद्दीकी परिवारों के दस सदस्यों ने रातभर बातचीत से यह हल निकाला।

मेजर कादरी ने बताया कि आयशा को किसी तरह का कोई वित्तीय मुआवजा नहीं दिया जाएगा और इस्लामिक कानून के तहत आयशा को सिर्फ तीन महीने के लिए 15 हजार रुपए का गुजारा दिया जाएगा, जो पाँच हजार रुपए प्रति महीना होगा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह दोनों पक्ष एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे थे, उससे उनके समुदाय की खासी बदनामी हो रही थी और समुदाय के लोग भी बहुत नाराज थे। उन्होंने कहा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से स्थिति लगातार खराब हो रही थी इसलिए मजबूर होकर हमें हस्तक्षेप करना पडा।

आयशा की माँ फरीसा सिद्दीकी ने कहा समुदाय के बुजुर्गों की सलाह पर मेरी बेटी को तलाक मिल गया जो कि वह चाहती थी। मैं बहुत खुश हूँ कि शोएब अंतत: आयशा को तलाक देने के लिए राजी हो गए। आयशा अब बहुत खुश है और काफी राहत महसूस कर रही है।

शोएब की होने वाली पत्नी सानिया मिर्जा के चाचा ने कहा स्थिति बहुत खराब हो रही थी, जिसका पूरे समुदाय और देश पर असर पड़ रहा था। हम किसी भी तरह इस स्थिति का अंत करना चाहते थे, इसलिए दोनों पक्षों के बड़े बुजुर्गों की सहमति से यह हल निकाला गया। हमने शोएब और आयशा पर दबाव डाला कि वे इस हल को स्वीकार कर लें। इसमें न कोई विजेता है और न ही कोई हारा है। इस मामले में समुदाय और देश की जीत हुई है। (वार्ता)

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