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दिन भर बैठा मैं पछताया

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, मंगलवार, 14 दिसंबर 2010 (12:29 IST)
सुबहा को लहजा सख़्त हुआ था बातों में,
दिन भर बैठा मैं पछताया रात हुई - अज़ीज़ अंसारी

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