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अनाथ हाथी शावक को मिला आसरा

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धरमजगढ़ में मां से बिछड़कर जंगल में भटक रहे माह भर के हाथी शावक को कानन पेंडारी लाया गया है। यहां दो दिन रखने के बाद उसे अचानकमार पहुंचाया जाएगा। अचानकमार में हाथियों का कैंप है, जहां पहले से तीन हाथी और है।

धरमजगढ़ वनमंडल के छाल परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम टोंडर नवापारा में पिछले दिनों वनकर्मियों को एक नन्हा हाथी दिखा। वहां दो-तीन झुंड में छोड़ने के बाद भी हाथी उसे लेकर नहीं गए। लिहाजा वनकर्मी उसे लेकर कोणाई केला स्थित रेस्टहॉउस लेकर आ गए।

इस बीच निर्णय लिया गया कि शावक को कानन पेंडारी रेस्क्यू सेंटर भेजा जाए। शुक्रवार को कानन पेंडारी के दल ने वहां पहुंचकर शावक को एक झुंड में छोड़ने का प्रयास किया, लेकिन पहले की तरह इस झुंड ने भी उसे नहीं अपनाया।

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दल शावक को लेकर रात 2 बजे कानन पेंडारी पहुंचा। उसे अस्पताल के बाजू में स्थित एक खुले केज में रखा गया। इधर, शावक के आने की सूचना मिलने के बाद उसका जायजा लेने के लिए सीएफ आईएन सिंह, डीएफओ हेमंत पांडेय, समाजिक वानिकी डीएफओ जी फणींद्र राव भी कानन पेंडारी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कानन प्रबंधन को आवश्यक निर्देश भी दिए।

बीमार है छोटा हाथी : जू में दो दिन रखने की मुख्य वजह उसका बीमार होना भी है। साथ ही इसके कान के पास और दोनों पैर में चोट के निशान है। चोट गंभीर नहीं है, लेकिन इलाज होने के बाद जल्द ही ठीक हो जाएगा।

सफर के कारण शावक को दस्त भी हो रही है। अचानकमार से एक महावत को दो दिन के लिए कानन पेंडारी बुलाया गया है। यहां वह डॉ. पीके चंदन के साथ उसके इलाज में मदद करेगा। साथ ही महावत को शावक के रखरखाव के भी टिप्स दिए जाएंगे।

पहले दिन जूस, दूध, ग्लूकोस व इलेक्ट्रॉल : डॉ. चदन का कहना है कि शावक अभी काफी छोटा है। वैसे भी जन्म के 6 महीने तक हाथी के शावक मां की दूध के अलावा कुछ नहीं खाते। इसी के चलते शनिवार को एक लीटर मोसंबी का जूस, 3 लीटर दूध, 100-100 ग्राम ग्लूकोस व इलेक्ट्रॉल पावडर दिया गया। इससे उसके शरीर में कमजोरी नहीं आएगी।

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