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कर्ज चुकाने के आसान उपाय-2

वास्तु में फेरबदल कर पाएँ कर्ज से मुक्ति

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हमें फॉलो करें कर्ज से मुक्ति
(गतांक से आगे)
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दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी-उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक होता है। फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछाकर कर्ज व दिवालिएपन से बचा जा सकता है। दरवाजे उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए।

पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उल्टा दर्पण रखने से फर्श ऊँचा उठ जाता है। फलतः कर्ज से मुक्ति मिलती है। उत्तर या पूर्व की ओर भूलकर भी उल्टा दर्पण न लगाएँ, अन्यथा कर्ज पर कर्ज होते चले जाएँगे। गलत दिशा में लगे दर्पण जबरदस्त वास्तुदोष के कारक होते हैं। सीढ़ियाँ कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से न बनाएँ। सीढ़ियों का वजन दक्षिणी दीवार पर ही आना चाहिए। ऐसा न होने पर आय के लाभ के साधन खत्म हो जाते हैं। सीढ़ी हमेशा क्लाक वाइज दिशा में ही बढ़ाएँ। कर्ज से बचने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर बढ़ें। सीढ़ी की पहली पेड़ी मुख्य द्वार से दिखनी नहीं चाहिए, नहीं तो लक्ष्मी घर से बाहर चली जाती है।

जिस घर में उसके बीच कहीं भी तीन या तीन से अधिक दरवाजे हों उसके बीच में कभी भी न बैठें। नहीं तो ज्ञान में कमी आएगी एवं तिजोरी भी खाली हो जाएगी। यदि मुख्य द्वार या भवन पर पेड़, टेलीफोन, बिजली का खम्भा या अन्य किसी चीज की परछाई पड़ रही हो तो उसे तुरन्त दूर कर दें या पाकुआ दर्पण लगा लें। पाकुआ दर्पण का मुख घर से बाहर होना चाहिए।

मुख्य द्वार के पास एक और छोटा-सा द्वार लगाएँ, कर्ज से छुटकारा मिलेगा। कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर एक या दो खिड़कियाँ बनवा लें। उन्हें ज्यादा खोलकर रखें। उत्तर-पूर्व भाग में निचले तल पर फर्श पर दर्पण रखकर उत्तरी-पूर्वी भाग की गहराई दिखाई जा सकती है।

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इस प्रकार बिना तोड़फोड़ के फर्श में गहराई आ जाती है और लाभप्रद होता है। ईशान कोण में पूजास्थल के नीचे पत्थर का स्लैब न लगाएँ अन्यथा कर्ज के चंगुल में फँस जाएँगे। उत्तर-पूर्व के भाग में दीपक जलाना घातक सिद्ध हो सकता है। इस कोने में हवन करने से व्यापार में घाटा प्राप्त होता है तथा ऐसा करना कर्ज एवं मुसीबत को न्योता देने के समान है क्योंकि यह दिशा पानी की है।

पूजा घर के अग्निकोण में पूजा करें। उत्तर-पूर्व में लकड़ी का मन्दिर रखें जिसके नीचे गोल पाए हों। लकड़ी के मन्दिर को दीवार से सटाकर न रखें। जहाँ तक हो सके पत्थर की मूर्ति न रखें, वजन बढ़ेगा। घर में टूटे बर्तन व टूटी हुई खाट नहीं होनी चाहिए, न ही टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाएँ। इससे दरिद्रता बढ़ती है। घर के द्वार पर जो उत्तर दिशा की ओर हो वहाँ पर अष्टकोणीय आईना लगाएँ। घर विभिन्न प्रकार के विघ्नों से बचेगा।

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