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जंगल में दबाव के चलते सरेंडर!

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रायपुर , मंगलवार, 31 जनवरी 2012 (12:54 IST)
छत्तीसगढ़ के कांॅकेर में हार्डकोर नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने के पीछे पुलिस व आर्म फोर्स का नक्सलियों पर बढ़ता दबाव माना जा रहा है। खासकर नए जिले बनने के बाद से इन जिलों में पुलिस के अतिरिक्त जवानों की पदस्थापना के बाद से नक्सली दबाव महसूस करने लगे हैं। बस्तर में भी कोंडागांॅव और सुकमा जिला बनने के बाद से पुलिस जवानों और अफसरों की संख्या में भी इजाफा हुआ है और सर्चिंग गतिविधियांॅ भी तेज हुई हैं।


कांॅकेर में जिन नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया है, उन पर कांॅकेर के साथ कोंडागांॅव और धमतरी जिले की पुलिस का दबाव बढ़ने लगा था। बताया जा रहा है कि ये नक्सली पिछले 10-11 साल से विभिन्ना नक्सली गतिविधियों में लिप्त थे, लेकिन लगातार बढ़ते पुलिसिया दबाव के बाद से नक्सलियों ने बंदूक से पुलिस का सामना करने के बजाय हथियार डालने का ही मन बनाया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि बस्तर में सेना की ट्रेनिंग कैंप के कारण भी नक्सलियों को अब जंगल में ट्रेवल करने में दिक्कत होने लगी है, साथ ही लगातार पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों की लगातार सर्चिंग और उनकी बढ़ती गतिविधियों के कारण नक्सली अब बस्तर से फैलने लगे हैं। माना जा रहा है कि बस्तर के नक्सली अब मैनपुर, गरियाबंद, सीतानदी अभयारण्य क्षेत्र, सरायपाली, रायगढ़, सरगुजा और जशपुर में तक फैल चुके हैं। ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में पहले नक्सलियों की आमद नहीं थी, लेकिन पहले की तुलना में अब इनके पास पकड़े जाने या पुलिस की गोलियों का निशाना बनने के चांस ज्यादा बन रहे हैं।


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