प्रदेश के कुछ नगरीय निकाय में लागू पर्यावरण कर अब पूरी तरह बंद कर दिया गया है। प्रदूषण फैलने से रोकने के लिए भारी और चारपहिया वाहनों से वसूले जाने वाले इस कर के कारण उन स्थानों पर कुछ हद तक प्रदूषण पर लगाम लगाई गई थी लेकिन कुछ लोगों की शिकायत के बाद इसे भी बंद कर दिया गया है। विभाग इसके पीछे यह दलील दे रहा है कि लोगों को हो रही व्यापक परेशानी के कारण इसे समाप्त किया गया है।
मध्यप्रदेश शासन काल में लगभग सभी नगरीय निकायों को पर्यावरण कर लगाए जाने संबंधी निर्देश जारी किए गए थे। इसके तहत नगरीय निकाय सीमा में प्रवेश करने वाले सभी भारी वाहनों जिनमें मालवाहक से लेकर यात्री वाहन भी शामिल थे उनसे 15-50 रुपए तक शुल्क लिया जाना था लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से प्रदेश के नगरीय निकायों में यह कर नहीं लिया जा रहा था। बताते हैं कि हाल ही में सरगुजा और रायगढ़ क्षेत्र के कुछ नगरीय निकायों में बढ़ते औद्योगिकरण को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए यह कर लागू किया गया था। लगभग छह माह, साल भर से लागू इस कर से क्षेत्र में प्रदूषण में काफी हद तक काबू पाने में सफलता पाई गई थी। कर लगाए जाने के कारण मॉल लाने ले जाने के लिए कई व्यापारी एक ही वाहन का उपयोग किया करते थे। ताकि पैसा बचाया जा सके। कर लगाए जाने से वाहनों की संख्या कम हो गई थी।
बैठक में शिकायत के बाद निर्णय
बताते हैं कि हाल में नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत ने प्रदेश के नगरीय निकायों की बैठक ली थी। इसमें उन क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों ने पर्यावरण शुल्क बंद करने की मांग की थी। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने इस कर से लोगों को परेशानी होने की बात बताई थी। लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए और जनता को असुविधा से बचाने के लिए इस कर को समाप्त करने की घोषणा बुधवार को की गई है। मंत्रालय के नगरीय प्रशासन विभाग से इसका आदेश भी जारी कर दिया गया है।