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लाखों क्विंटल धान मौसम की भेंट चढ़ा

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रायपुर , सोमवार, 2 जनवरी 2012 (01:01 IST)
चक्रवाती तूफान की वजह से हुई बारिश का असर धान खरीदी केन्द्रों पर सबसे ज्यादा देखने को मिला जहाँ रखे लाखों क्विंटल धान बारिश की भेंट चढ गए। दरअसल प्रदेश में अब तक 28 लाख टन धान की खरीदी की जा चुकी है लेकिन संग्रहण केन्द्रों में काफी तादात में धान उठाव न होने के चलते करीब 10 लाख टन धान खुले में रखे गए थे। यही वजह है कि नुकसान ज्यादा हुआ। इस बेमौसम बारिश ने धान खरीदी के लिए किए गए दावों की कलई खोल कर रख दी है।


शनिवार शाम से रविवार देर रात तक प्रदेश के लगभग सभी जिलों में बारिश का असर देखा गया। सभी जिले से खरीदी केन्द्रों में धान भीगने की खबर है। दुर्ग, बालोद व बेमेतरा जिले में हुई झमाझम बारिश ने 22 लाख क्विंटल धान को भिगो दिया। यहाँ कुल 254 खरीदी केन्द्र बनाए गए थे लेकिन ज्यादातर सोसायटियों में छुट्टी का दिन होने की वजह से पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए जा सके। उधर राजनांदगाँव जिले के सिंघोला, गठुला, ढारा, अर्जूनी, ठेलकाडीह व पदुमपुरा सहित अधिकांश सोसायटियों में उठाव नहीं होने के चलते हजारों बोरा धान बारिश की वजह से भीग गए। यहाँ करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका है।


कैप कवर की कमी

प्रदेश के कई संग्रहण केन्द्रों में कैप कवर की व्यवस्था नहीं होने से धान खुले में रखे गए थे। महासमुंद जिले में सभी 115 खरीदी केन्द्रों में धान भीगने की खबर है। कुछ ही केन्द्रों में स्टेकिंग कर रखे गए धान को कैप कवर से ढंका जा सका लेकिन बेमचा, बरोंडा बाजार सहित ज्यादातर केन्द्रों में बारिश शुरू होने के बाद प्रबंधन द्वारा कैप कवर इंतजाम की कवायद की गई। जब तक कवर की व्यवस्था होती तब तक हजारों क्विंटन धान को बारिश ने अपनी चपेट में ले लिया।


धान में अंकुर का खतरा

भीगने के बाद अब जैसे ही धूप निकलेगी धान में अंकुरण का खतरा मंडराने लगा है जिससे शासन को करोड़ों का चूना लग सकता है। साथ ही लाखों क्विंटन धान में भीगने के चलते चावल की गुणवत्ता खराब होने की आशंका मंडराने लगी है।


किसानों की चिंता बढ़ी

बारिश के चलते सिर्फ खरीदे गए धान ही नहीं भीगे बल्कि अपनी बारी के इंतजार कर रहे किसानों के धान भी भीग गए। किसानों की चिंता ये कि अब इस भीगे धान का वे क्या करें क्योंकि इस धान में नमी के चलते इसे खरीदा नहीं जा सकता। 17 फीसदी से ज्यादा नमी वाले धान पर खरीदने की पाबंदी पहले से ही लगाई जा चुकी है। इसके लिए सभी खरीदी केन्द्रों में नमी मापक यंत्र लगाए गए हैं।


'''बारिश से धान को बचाने के लिए कैप कवर की व्यवस्था की गई है। इस बार समितियों से धान सीधे मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए दी जा रही है। ऐसे में समितियों में धान के रखरखाव की जिम्मेदारी सहकारी बैंकों व प्राथमिक सहकारी सोसायटियों की है। इस बारिश में ज्यादा नुकसान का अनुमान नहीं है।'''


राधाकृष्ण गुप्ता, चेयरमेन मार्कफेड

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