नकली आभूषण से ऋण दिलाने के शहर के चर्चित मामले में न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस घटनाक्रम में लिप्त दो तत्कालीन बैंक कर्मचारियों को विभिन्ना धाराओं में अर्थदंड के साथ सजा सुनाई गई है। सन 1994 में यह मामला सुर्खियों में था।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अशोक शर्मा के न्यायालय में विचाराधीन इस मामले में सहकारी बैंक में पदस्थ तत्कालीन आभूषण मूल्यांकनकर्ता कैलाश जोशी एवं अरुण दिंडोरकर को सश्रम 5 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा विभिन्ना धाराओं में क्रमशः 2-2 एवं 1 वर्ष की सजा के साथ 20 हजार, 10-10 हजार एवं 1 हजार का अर्थदंड भी आरोपित किया है। यह सभी सजा एक साथ चलेगी।
क्या था मामला
वर्ष 1994 में 18 फरवरी से 9 दिसंबर के मध्य तत्कालीन आभूषण मूल्यांकनकर्ताओं के कार्यकाल में 4 फर्जी हितग्राहियों के नाम से ऋण प्रकरण स्वीकृत किए गए थे। इन प्रकरणों में ऋण राशि के बदले सोने के नाम पर नकली आभूषण बैंक में रख दिए गए। निर्धारित समयावधि में ऋण नहीं चुकाए जाने पर बैंक ने नियमानुसार 25 जुलाई 99 को आभूषणों की नीलामी की प्रक्रिया अपनाई, परंतु नकली आभूषणों का राज खुलने पर नीलामी को रोकना पड़ा।
सहकारी बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक मोहनलाल ने यह मामला पुलिस में दर्ज कराया। इस प्रकरण में आरोपियों पर धारा 467, 468, 471, 477ए, 418 एवं 420 के अंतर्गत विवेचना की गई। इस महत्वपूर्ण प्रकरण में पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी झबरसिंह मुवेल व अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी गजपालसिंह ने पैरवी की। -निप्र