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सेक्स के लिए जरूरी नाड़ियों की शुद्धि

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नाड़ी देखकर ही रोग का पता चल जाता है। सवाल सिर्फ सेक्स का नहीं संपूर्ण शरीर की शुद्धि और मजबूती का भी है। शरीर में स्थि‍त छोटी-छोटी नाड़ियां यदि कमजोर या रोगग्रस्त रहेगी तो संपूर्ण शरीर ही उसके जैसा हो जाएगा। योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभि स्थान है।

72 हजार नाड़ियों में भी दस नाड़ियाँ मुख्य मानी गई हैं- 1.इड़ा (नाभि से बाईं नासिका), 2.पिंगला (नाभि से दाईं नासिका),3. सुषुम्ना (नाभि से मध्य में), 4.शंखिनी (नाभि से गुदा), 5.कृकल (नाभि से लिंग तक), 6.पूषा (नाभि से दायाँ कान), 7.जसनी (नाभि से बाया कान), 8.गंधारी (नाभि से बायीं आँख), 9.हस्तिनी (नाभि से दाईं आँख), 10.लम्बिका (नाभि से जीभ)।

नाड़ियाँ शरीर में सुस्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार रहती है और योग के अभ्यास से इन पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण, शराब का सेवन, अन्य किसी प्रकार का नशा, अनियमित खान-पान, क्रोध, अनिंद्रा, तनाव और अत्यधिक काम और संभोग के चलते नाड़ियां कमजोर पड़कर रोगग्रस्त हो जाती है।

नाड़ियों के रोगग्रस्त होने के कारण शरीर भारी होने लगता है। कफ, पित्त, आलस्य आदि की शिकायत होने लगती है और व्यक्ति की किसी भी कार्य के प्रति अरुचि हो जाती है। इसके अलावा संभोग के क्षणों में भी व्यक्ति स्वयं को अक्षम महसूस करता है। नाड़ियों के कमजोर रहने से व्यक्ति अन्य कई रोगों से ग्रस्त होने लगता है।

कैसे बनाएं नाड़ियों को सेहतमंद : नाड़ियों को मूलत: दो तरीके से स्वस्थ्य, मजबूत और हष्ट-पुष्ट बनाया जा सकता है- 1.यौगिक आहार और 2.प्राणायाम।

यौगिक आहार : यौगिक आहार में गेहूं, चावल, जौ जैसे सुंदर अन्न। दूध, घी, खाण्ड, मक्खन, मिसरी, मधु और फल। जीवन्ती, बथुआ, चौलाई, मेघनाद एवं पुनर्नवा जैसे पाँच प्रकार के शाक। मूंग, हरा चना आदि। फल और फलों का ज्यूस ज्यादा लाभदायक है।

प्रतिबंध : मसालेदार, तलाभुना, खट्टा या बाजार का भोजन कतई ना खाएं। किसी भी प्रकार का नशा न करें। देर रात तक जागरण बंद कर दें। वायु प्रदूषण से बचें। भोजन के नियम बनाएं और भोजन में मात्रा जानकर ही खाएं। अत्यधिक भोजन या अत्यंत ही कम भोजन का त्याग कर दें। पानी छान कर पीएं। हर कहीं का पानी पीना बंद कर दें।

प्राणायाम : प्राणायाम की शुरुआत अनुलोम-विलोम से करें इसमें कुंभक की अवधि कुछ हद तक बढ़ाते जाएँ। फिर कपालभाती और भस्त्रिका का अभ्यास मौसम और शारीरिक स्थिति अनुसार करें ज्यादा से ज्यादा वायु अंदर लेकर कुम्भक लगाकर ज्यादा समय तक रोककर रखने से नाड़ी की भीतरी रुकावट दूर होकर मजबूत होगी।

यौगिक आहार का पालन करते हैं तो आप हल्का, स्फूर्तिवान और स्वस्थ महसूस करेंगे। जैसे जैसे नाड़ी शु‍द्ध होगी शरीर पतला व हल्का होने लगेगा, शरीर व चेहरे की क्रांति बढ़ जाएगी, आप स्वयं को शक्तिशाली महसूस करेंगे, पाचन क्रिया हमेशा ठीक रहेगी। इसके अलावा आप कोई सा भी शारीरिक या मानसिक मेहनत का कार्य कर रहे हैं तो कभी भी आपको थकान महसूस नहीं होगी।

स्वस्थ और मजबूत नाड़ियाँ मजबूत शरीर और लम्बी उम्र की पहचान है। इससे उम्र बढ़ने के बाद भी जवानी बरकरार रहती है। सदा स्फूर्ति और जोश कायम रहता है। मजबूत नाड़ियों में रक्त संचार जब सुचारू रूप से चलता है तो रक्त संबंधी किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता। हृदय और फेंफड़ा मजबूत बना रहता है। श्वास नलिकाओं से भरपूर वायु के आवागमन से दिमाग और पेट की गर्मी छँटकर दोनों स्वस्थ बने रहते हैं। पाचन क्रिया सही रहती है और संभोग क्रिया में भी लाभ मिलता है।

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