कटि का अर्थ कमर अर्थात कमर का चक्रासन। उक्त आसन में दोनों भुजाओं, गर्दन तथा कमर का व्यायाम होता है इसीलिए इसे कटि चक्रासन कहते हैं। इस आसन के और भी कई नाम हैं। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।
विधि : पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएँ। फिर दोनों पैरों में लगभग एक फीट की दूरी रखकर खड़े हो जाएँ। फिर दोनों हाथों को कन्धों के समानान्तर फैलाते हुए हथेलियाँ भूमि की ओर रखें।
फिर बायाँ हाथ सामने से घुमाते हुए दाएँ कंधे पर रखें। फिर दायाँ हाथ मोड़कर पीठ के पीछे ले जाकर कमर पर रखिए। ध्यान रखें की कमर वाले हाथ की हथेली ऊपर ही रहे। अब गर्दन को दाएँ कंधे की ओर घुमाते हुए पीछे ले जाएँ। कुछ देर इसी स्थिति में रहें।
फिर गर्दन को सामने लाते हुए क्रमश: हाथों को कंधे के समानान्तर रखते हुए अब इसी क्रिया को दाएँ ओर से करने के पश्चात बाएँ ओर से कीजिए। इस प्रकार इसके एक-एक ओर से 5-5 चक्र करें। सावधानी : कमर या गर्दन में अत्यधिक दर्द की स्थिति में यह आसन न करें या करने के पहले योग विशेषज्ञ के साथ ही डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। लाभ : यह कमर, पेट, कुल्हे, मेरुदंड तथा जंघाओं को सुधारता है। इससे गर्दन और कमर में लाभ मिलता है। यह आसन गर्दन को सुडोल बनाकर कमर की चर्बी घटाता है। शारीरिक थकावट तथा मानसिक तनाव दूर करता है।