कुंभ 2015 : जानिए कैसे बीतेगा आपका यह साल
गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
कुंभ राशि वाले उत्तम कदकाठी के होते हुए इकहरे शरीर वाले होते हैं। सुंदरता शनि व राशि पर पड़ने वाले ग्रहों के आधार पर होती है। ये परिश्रमी व कार्य में अधिक सफल होते हैं। राजनीति में हो तो सफलता इनके कदम चूमती है।
जनवरी
इस माह अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें। खर्च की अधिकता रहेगी। किसी वाद-विवाद के कारण या किसी नुकसान के कारण धन अधिक खर्च होने की संभावना बन रही है। किसी करीबी से धोखा मिल सकता है, सलाह है कि आंख बंद करके किसी पर विश्वास न करें।
फरवरी
यह समय अनुकूल नहीं है। शत्रु हावी हो सकते हैं अतः किसी विवाद में न पड़ें। पारिवारिक सुख में कमी और जीवनसाथी से मतभेद उभरने का योग बन रहा है। सोच-समझकर बोलें और प्रयास करें की अनावश्यक विवाद न हो। धन के मामलों में रुकावटें आएंगी।
मार्च
इस माह अचानक धनलाभ के योग हैं। सुदूर यात्रा से लाभ होगा। पारिवारिक सुख में कमी का योग बना हुआ है, विशेषकर भाइयों से विवाद उत्पन्न हो सकता है। जमीन-जायदाद के मामलों में यदि विवाद की संभावना बन रही है तो कुछ समय के लिए न उलझें। खान-पान और रहन-सहन को नियमित और संतुलित रखें।
अप्रैल
इस माह पराक्रम बढ़ा रहेगा। भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा। भाग्यवश किसी बड़ी समस्या में फंसते-फंसते बचेंगे, क्योंकि इस समय सारी विषमताओं के बावजूद भाग्य मजबूत है। साहस बढ़ा- चढ़ा रहेगा। बाहरी संबंधों से लाभ मिल सकता है। उच्च अधिकारियों या समाज के उच्च वर्ग के लोगों से संपर्क बढ़ेगा। खान-पान में सावधानी बरतें।
मई
इस माह पराक्रम और साहस खूब बढ़ा रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा, परिवारिक सुख-शांति रहेगी। किसी शुभ कार्य के होने के संकेत भी हैं। नए वाहन के खरीदने का भी योग है। नए मकान में शिफ्ट हो सकते हैं या अपने घर को सजा-संवार सकते हैं। यात्रा सुखद और मनोरंजक होगी। जीवनसाथी से संबंध थोड़े बेहतर होंगे।
जून
इस माह पिता से थोड़ी अनबन हो सकती है। माता के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। धनागमन सामान्य रहेगा, लेकिन खर्च अधिक रहेगा। भूमि-भवन और वाहन की खरीद का योग है। संपत्ति संबंधी विवाद उत्पन्न हो सकता है। सुदूर की यात्राएं फलदायी होंगी।
जुलाई
इस माह धन की प्राप्ति संभव है। कहीं-कहीं खर्च बहुत अधिक रहेगा। नए कार्य में हाथ न डालें। स्वास्थ्य बहुत परेशान कर सकता है अतः बहुत सावधानी बरतें। मन-मष्तिष्क को नियंत्रित रखें। साधना-उपासना का सहारा लें और प्रसन्न रहें, क्योंकि यह समय बहुत ज्यादा समय तक नहीं रहेगा।
अगस्त
इस माह निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करेंगे, क्योंकि दिमाग में द्वंद्व रहेगा। परिस्थितिवश घर से दूर जाना पड़ सकता है। शत्रु पक्ष नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेगा अतः थोड़ी सावधानी बरतें। अनावश्यक विवादों में न उलझें और प्रयास करें कि कोई विवाद न हो।
सितंबर
इस माह आप अपनी बातों को बहुत प्रभावशाली ढंग से रखने में सफल होंगे। अचानक धनलाभ और धन खर्च की संभावना बन रही है। कोई भी निर्णय तुरंत न लें। मान-प्रतिष्ठा के लिए अच्छा समय है। धर्म के कार्यों में रुचि बढ़ेगी तथा अच्छे और विद्वान लोगों की संगति मिलेगी। पिता और उच्च अधिकारियों का सहयोग मिलेगा।
अक्टूबर
इस माह जीवनसाथी से तालमेल अच्छा रहेगा, साथ ही बहुत सहयोग मिलेगा। अविवाहित लोगों के लिए समय उत्तम है। धनलाभ के योग बनेंगे। भाग्य साथ है, फिर भी जोखिम से बचना होगा। उच्च अधिकारियों या अपने से वरिष्ठ लोगों से मतभेद के बावजूद सहयोग लेने में सफल होंगे। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें।
नवंबर
इस माह संतान पक्ष से सुखद समाचार मिलने के आसार हैं। यदि स्वयं किसी प्रतियोगिता में शामिल हो रहे हैं तो अच्छा समय है। सफलता मिलने के अच्छे संकेत हैं। जीवनसाथी से सहयोग तथा लाभ की संभावना बन रही है। आर्थिक स्थिति अच्छी बनेगी। स्वास्थ्य के मामले में जरा भी लापरवाही महंगी साबित होगी, सावधानी रखना होगी।
दिसंबर
इस माह यात्रा और वाहन चलाते समय सावधानी रखें, दुर्घटना का योग है। बिना वजह के झगड़ों से दूर रहें। पिता से संबंध तनावपूर्ण हो सकता है अतः सोच-विचारकर बोलें। अपने से उच्च अधिकारी या सरकार से कुछ नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। संतान, विशेषकर बेटों से तनाव हो सकता है।
कुंभ राशि वालों के लिए विशेष-
कुंभ राशि के जातकों के लिए वर्षपर्यंत केतु द्वितीय भाव में, राहु अष्टम में, गुरु छठे (लगभग आधे वर्ष से ज्यादा) भाव में तथा स्वयं लग्नेश शनि शत्रु राशि वृश्चिक में दशम भाव में बैठे हैं अतः लगभग पूरे वर्ष अचानक घटना-दुर्घटना, धनहानि, स्वास्थ्य संबंधी समस्या तथा शत्रुओं से परेशानी का योग बना रहेगा। अतः विषम परिस्थितियों में भी साहस बनाए रखना होगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान पहले से ही रखें।
उपाय-
1. स्वास्थ्य की समस्या हो तो महामृत्युंजय जाप कराएं।
2. व्यापार में लगातार हानि हो रही है तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
3. शत्रु-ऋण-रोग अर्थात सब तरह की समस्या है तो वनदुर्गा का अनुष्ठान कराएं।