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वर्षफल 2015 : जानिए ग्रहों का मंत्रिमंडल, देश-विदेश के सितारे

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हमें फॉलो करें Year 2015
वर्षफल  : संवत 2072, शके 1937, ईस्वी सन् 2015-16 का। इस वर्ष के आरंभ में कीलक नामक संवत्सर रहकर वैशाख शुक्ल 3, दिन मंगलवार, ता. 21 अप्रैल 2015 को 9.25 इष्ट अर्थात दिन 9 बजकर 35 मिनट पर सौम्य नाम के संवत्सर का प्रवेश होगा। पूरे वर्ष कीलक संवत्सर का ही प्रयोग होगा। 


 

इस वर्ष आकाशीय चुनाव में राजा (राष्ट्रपति) का पद शनि को प्राप्त हुआ है तथा प्रधानमंत्री का पद मंगल को मिला है। ये दोनों उग्र ग्रह तथा परस्पर विरोधी हैं। पूर्व धान्येश विभाग शुक्र को, पश्चिम धान्य विभाग बुध को मिला है। मेघ (सिंचाई, वर्षा आदि) का विभाग चंद्रमा को तथा रस पदार्थ (घी, तेल, दूध, शकर, गुड़ आदि) का विभाग सूर्य को, नीरस पदार्थ (सुपारी, लौंग, इलाचयी आदि किराना पदार्थ) का विभाग शुक्र को, फल (पर्यावरण, जंगल आदि) विभाग तथा दुर्ग (सुरक्षा) विभाग चंद्रमा को प्राप्त हुए हैं। धन (अर्थ) विभाग बुध को मिला है।

इस प्रकार कुल 10 विभागों में से 7 विभाग शुभ ग्रहों को तथा 3 विभाग क्रूर (उग्र) ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। किंतु प्रधान 2 विभाग क्रूर ग्रहों (शनि, मंगल) को ही मिले हैं। 
 
वर्ष कुंडली में लग्नेश सूर्य भाग्य में (उच्च का) मंगल (चतुर्थेश व भाग्येश) व बुध (धनेश व लाभेश) के साथ है। गुरु व्यय में, शुक्र राज्य घर में बैठकर चतुर्थ शनि को देखता है। इस प्रकार वर्ष लग्न कुंडली में लग्न में गुरु उच्च राशि के हैं किंतु वक्री हैं, लग्नेश चंद्रमा भाग्य में केतु त्रिकोणपति मंगल व धनेश सूर्य के साथ हैं। इन्हें तथा वर्षभर के ग्रह को देखते हुए यथा पूरे वर्ष वृश्चिक का शनि अधिकांश समय गुरु व शुक्र की यु‍ति, शनि-मंगल का परस्पर दृष्टि संबंध तीन-चार-पांच ग्रहों की युति इत्यादि को देखते हुए यद्यपि विश्व के लिए पूर्वापेक्षा कुछ अच्‍छा-सा दिखेगा।
 
विश्व विशेषकर पूर्वोत्तर देश, पाश्चात्य देश अरब आदि पर्वतीय भाग व जलस्थ द्वीपों आदि की स्थिति प्राय: अशांतिप्रद रहने की संभावना है। इनमें पर्वतीय दुर्घटना, खनिज तूफान, विषम वर्षा से उपज में कमी भूकम्पादि आकस्मिक दुर्घटना, यान दुर्घटना तथा राजनीतिक स्तर पर मतभेद, कलह, उलझनें आदि की संभावनाओं के साथ कहीं-कहीं साधारण खून-खराबा आदि की संभावना है। किसी बड़े संघर्ष की संभावना कम ही है। कभी-कभी उत्तेजक परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं, किंतु सलाह-मशविरा, आपसी सामंजस्य से इन्हें रोका जा सकता है। 
 
वार्ताएं, सम्मेलन आदि से समस्याओं का आंशिक समाधान हो जाने की संभावना है। प्रधान व्यक्तियों में व्यस्तता तथा किसी का अभाव आदि भी हो सकता है। नवीन अस्त्र-शस्त्रादि की वृद्धि व आविष्कार में कुछ सफलता मिलेगी। सतत प्रयास करते हुए भी आर्थिक कमी का असर सर्वत्र परिलक्षित होगा। महंगाई की स्थिति भी प्राय: कुछ कमी के साथ यथावत बनी रहेगी। शिक्षा जगत में कुछ उहापोह की स्थिति के साथ सामान्य रहने की संभावना है। उद्योग-व्यापार जगत में कुछ सुधार के साथ वृद्धि की संभावना है। नवीन रोगों को देखते हुए यह वर्ष पूर्व की तुलना में कुछ अच्छा प्रतीत होता है।
 
भारत भी इन परिस्‍थितियों और समस्याओं से अछूता नहीं रहेगा। पड़ोसी राष्ट्रों से सतर्क रहना चाहिए। धोखा व हानि दे सकते हैं। यद्यपि वर्ष पूर्वा अच्‍छा व्यतीत हो सकता है तथापि प्रशासनिक व उच्च वर्ग में वैचारिक मतभेद व दबाव की नीति बन सकती है जिसके कारण हानि भी हो सकती है। 
 
उच्च वर्ग में व्यस्तता तथा किसी के अभाव की भी संभावना है। देश का पूर्वोत्तर भाग बिहार बंगाल, ओडिशा की स्थिति विशेष असंतोषजनक रहेगी। जीवनोपयोगी वस्तुओं की कमी, यान, पर्वतीय, सामुद्रिक भूकम्प, आंधी, वर्षा की विषमता, बाढ़, जल प्लावन, वज्रपात, ओला आदि से क्षति हो सकती है जिससे राष्ट्र में उपज में कहीं कमी तो कहीं अच्छी से सामान्य स्‍थिति का अनुभव होगा। यही स्‍थिति देश के पश्चिमी भाग (महाराष्ट्र) आदि की रहेगी।
 
देश में शिक्षा जगत में खींचातानी रहेगी। शिक्षित बेरोजगारों की समस्या जटिल होगी जिससे युवा वर्ग असंतुष्ट व निराश रहेगा। उद्योग जगत सामान्य रहने से जनसामान्य में कुछ राहत का अनुभव होगा। राजनीतिक स्‍थिति उठापटक, परिवर्तन व खींचातानी विरोध आदि की रहेगी तथापि हानि की संभावना नहीं है। असामाजिक तत्व भी कुछ न कुछ सक्रिय रहेंगे। आर्थिक स्‍थिति में भरसक प्रयास करने पर भी सुधार की संभावना कम ही है।

महंगाई की स्‍थिति भी संतोषप्रद नहीं रहेगी। नवीन रोगों की वृद्धि की आशंका है। आविष्कार जगत में नवीन उपलब्धियां हो सकती हैं। कूटनीतिक सफलता मिलेगी जिससे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी व स्‍थिति भी अच्छाई की ओर अग्रसर हो सकती है। इस तरह उपरोक्त अनेक समस्याएं होते हुए भी अच्‍छाई का अनुभव होगा। परिस्‍थितियां अपेक्षाकृत अच्छी रहेंगी।
 
 

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