घर का निर्माण शुभ तिथि में वास्तु अनुसार करना चाहिए। जिस तरह गृह निर्माण में शुभ मुहूर्त, तिथि और लग्नादिन का महत्व है उसस भी कहीं ज्यादा गृह प्रवेश में माह और तिथि का महत्व है। निम्न माह और तिथि में शुभ मुहूर्त देखकर ही गृह प्रवेश करेंगे तो सुखी रहेंगे। गृह प्रवेश के मुहूर्त का निर्धारण तिथि, नक्षत्र, लग्न और वार आदि के आधार पर किया जाता है।
1.गृह प्रदेश के माह : माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ उत्तम माह है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन के साथ ही पौष माह में गृह प्रदेश नहीं करना चाहिए।
2.गृह प्रदेश की तिथि : अमावस्या, पूर्णिमा, पंचक, कृष्ण पक्ष और ग्रहण आदि को छोड़कर शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि को गृह प्रवेश करना शुभ होता है।
3.गृह प्रवेश का वार : मंगलवार और कुछ विशेष परिस्थिति में रविवार एवं शनिवार को छोड़कर सभी वारों को गृह प्रवेश किया जा सकता है।
4.स्थिर लग्न : गृह प्रवेश हमेशा स्थिर लग्न में करने से शुभ होता है। किसी पंडित से लग्न पूछकर यह कार्य करें। वैसे प्रवेश के समय आपके जन्म नक्षत्र से सूर्य की स्थिति पांचवें में अशुभ, आठवें में शुभ, नौवें में अशुभ और छठवे में शुभ होती है।
6.शुभ मुहूर्त : शुभ मुहूर्त में रुद्र, श्वेत, मित्र, सारभट, सावित्र, वैराज, विश्वावसु, अभिजित, रोहिण, बल, विजय, र्नेत, वरुण सौम्य और भग ये 15 मुहूर्त है। रवि के दिन 14वां, सोमवार के दिन 12वां, मंगलवार के दिन 10वां, बुधवार के दिन 8वां, गुरु के दिन 6टा, शुक्रवार के दिन 4था और शनिवार के दिन दूसरा मुहूर्त कुलिक शुभ कार्यों में वर्जित हैं।